फरीदाबाद के रहने वाले 81 साल के पंकज बंगा AIIMS सहित कई कैंसर हॉस्पिटल्स में जाकर मरीज़ों की मदद करते हैं। इस काम में उनकी बेटी प्रियंका बंगा भी उनका साथ दे रही हैं।
राजस्थान के बीकानेर जिले के देसली के रहने वाले रवि बिश्ननोई 2006 से मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्टिंग कर रहे थे। लेकिन, 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ खेती की राह चुनी।
मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले संकल्प शर्मा पुणे स्थित भारती विद्यापीठ से एमबीए करने के बाद बैंकिंग सेक्टर में नौकरी कर रहे थे। लेकिन, वह अपने नौकरी से खुश नहीं थे और साल 2015 में नौकरी छोड़, उन्होंने जीरो बजट फार्मिंग शुरू कर दी।
बिहार के बेगूसराय जिला के कोरैय गाँव के रहने वाले 30 वर्षीय ब्रजेश कुमार पढ़ाई पूरी करने के बाद, सीबीएसई में सीसीई कंट्रोलर के तौर पर काम कर रहे थे। लेकिन, कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने साल 2013 में अपनी नौकरी छोड़ दी।
बिहार के रहने वाले दो भाईयों ने नौकरी छोड़ ‘एग्रीफीडर’ नामक स्टार्टअप शुरु किया है। दोनों भाईयों की यह जोड़ी किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करती है ताकि इसका इस्तेमाल मसाला-मिक्स हर्बल चाय में हो और किसान ज़्यादा मुनाफा कमा सकें।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उड़ीसा, असम सहित कुल 14 राज्यों में करीब आठ हजार यूनिट स्थापित हैं। इनमें 80 के करीब यूनिट्स अकेले मेरठ जिले में हैं।
“कभी-कभी, मुझे बाघों को किसी भी बाहरी खतरे से बचाने के लिए जंगल में रात बितानी पड़ती है। मैं यह भी सुनिश्चित करता हूं कि जंगल में पानी वाले गड्ढ़े, चिलचिलाती गर्मियों में भी हमेशा भरे रहें, ताकि जानवर हमेशा अपनी प्यास बुझा सकें।” - आदित्य सिंह