1985 के आस-पास जब वैज्ञानिकों ने ओजोन परत के क्षरण की बात की तो चंद्रपाल सिंह ने इसे काफी गंभीरता से लिया और तभी से शुरू कर दिया औषधीय जंगल बसाने का काम।
"जब मैंने किसानी शुरू की थी, तब मैं साइकिल से आता-जाता था। आज मेरे पास 2 कार और 7 मोटरसाइकिल हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि पानी बचाने से मेरी ज़िंदगी बदल जाएगी। यह वाकई अनमोल है।"