लोगों को कचरा न फेंकने के लिए समझाना बहुत ही मुश्किल काम था। अगर उन्हें रोका जाता तो वे उल्टा डॉ. अग्रवाल से ही बहस करते कि अगर यहाँ न फेंके तो कहाँ फेंके?
‘कार्डियोलॉजी एट डोरस्टेप' नाम से चल रहे इन व्हाट्सअप ग्रुप्स में लगभग 800 डॉक्टर जुड़े हुए हैं जो ग्रामीण इलाकों के ऐसे लोगों की सहायता करते हैं जहाँ स्पेशलिस्ट नहीं पहुँच पाते हैं!