दार्जिलिंग की रहने वाली यूडेन आंटी, फिलहाल दिल्ली में "दार्जिलिंग स्टीमर्स” रेस्टोरेंट चलातीं हैं। लेकिन, एक अकेली माँ होने के कारण, उन्हें इस बिजनेस को शुरू करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। देखिये उनकी प्रेरक कहानी।
लद्दाख के बोग्दंग गाँव की रहने वाली जुलेखा बानो अपने ‘बाल्टी समुदाय’ में वकील बनने वाली पहली महिला हैं। लेकिन, उनका यह सफर कई कठिनाइयों से भरा रहा है। यहाँ पढ़िए, उनकी प्रेरक कहानी!
डॉ. कौर ने अपने कोचिंग की शुरूआत नौवीं कक्षा के 50 से अधिक छात्रों के साथ की। जिनमें से आज कुछ ने नागालैंड के सीएम छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता हासिल की है, तो कईयों ने राज्य सरकार की विभागीय परीक्षाओं को क्लियर किया है। जबकि, कई इस साल यूपीएससी की परीक्षा देंगे।
“बचपन से मैं एक डॉक्टर बनना चाहता था ताकि मैं दूसरों की मदद कर सकूँ। लेकिन बड़े होने के बाद मुझे लगा कि लोगों की मदद करने के लिए पहले मुझे उन्हें शिक्षित करके बेहतर अवसर प्रदान करना चाहिए। इसके लिए मैंने सिविल सर्विसेज को चुना।” - डॉ. राजेंद्र भरुद, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, नंदुरबार जिला, महाराष्ट्र।
1996 में बिहार से दिल्ली आये मनोज अपनी आजीविका चलाने के लिए अंडे व सब्जियाँ बेचा करते थे, लेकिन अपनी मेहनत और सही संगत ने मनोज को फर्श से अर्श तक पहुँचा दिया। पढ़िए उनकी यह प्रेरक कहानी।