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Indian Freedom Struggle

भारत तब और अब! आज़ादी के 76 साल बाद जानिए किन क्षेत्रों में की कितनी तरक्की

By प्रीति टौंक

आज़ादी के समय हमारे देश में स्कूलों की संख्या महज एक लाख के करीब थी, जो अब बढ़कर 15 लाख से ज्यादा हो गई है। शिक्षा ही नहीं स्वास्थ्य, सड़क और व्यापर के क्षेत्र में भी देश ने खूब तरक्की की है, जानिए बीते 76 सालों में आए बदलाव की कहानी।

आचार्य विनोबा भावे: वह संत, जिन्होंने दिया लाखों गरीब किसानों को जीने का सहारा

आचार्य विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर 1895 महाराष्ट्र के गागोडे में हुआ था। वह एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके जीवन पर महात्मा गांधी के विचारों का गहरा प्रभाव था। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी।

देशबंधु चित्तरंजन दास: जानिए उस शख्स के बारे में, जिन्हें नेताजी अपना गुरु मानते थे

चितरंजन दास ने एक वकील, राजनीतिज्ञ और पत्रकार के तौर पर भारत को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने में जो भूमिका निभाई, उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

कौन हैं, नेताजी की हर कदम पर मदद करने वाली महिला सेनानी, जिनके लिए रेलवे ने तोड़ी परंपरा

जब बात किसी जाने माने व्यक्ति के नाम पर किसी सड़क, पार्क या स्टेशन का नाम रखने की हो, तो यह सम्मान ज्यादातर पुरुषों को ही मिलता है। महिलाओं का नाम कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आता। लेकिन भारतीय रेलवे ने 1958 में, स्वतंत्रता सेनानी बेला बोस को सम्मान देकर इस परंपरा को तोड़ दिया।

शहीद का साथी: कर्नल निज़ामुद्दीन, सुभाष चंद्र बोस के इस सच्चे साथी की अनसुनी कहानी

By Shashi Shekhar

कर्नल निज़ामुद्दीन ने 1943 में सुभाष चंद्र बोस की रक्षा करते हुए 3 गोलियाँ खाई थीं।

दुर्गा भाभी की सहेली और भगत सिंह की क्रांतिकारी 'दीदी', सुशीला की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

अंग्रेजी सेना में नौकरी करने वाले सुशीला दीदी के पिता ने उन्हें रोकना चाहा था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि घर छूटे तो छूटे लेकिन देश को आज़ादी दिलाए बिना उनके कदम नहीं रुकेंगे!

अंग्रेजों को मात देने के लिए इस सेनानी ने काट दिया था अपना ही हाथ!

By निशा डागर

हाथ काटने के बाद भी 80 वर्षीय वीर कुंवर का संग्राम नहीं रुका। उन्हें आराम करने की हिदायत मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजों से अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध किया!

मंगल पांडेय से 33 साल पहले इस सेनानी ने शुरू की थी अज़ादी की जंग!

By निशा डागर

बिंदी तिवारी की शहादत के बाद अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ भारत में बल्कि इंग्लैंड में भी निंदा हुई, और तो और बहुत से भारतीय अफसरों और सैनिकों ने ब्रिटिश सेना छोड़ दी!