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कोविड-19: श्रमिकों और जरूरमंदों की सहायता कर रहे हैं देशभर के युवा, आप भी दे सकते हैं साथ

कोरोना महामारी के दौर में सबसे अधिक नुकसान श्रमिक वर्ग का हुआ है। इन सभी तक मदद पहुंचाने के लिए कुछ युवा और उनकी संस्थाएं बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं।देश के अलग-अलग हिस्सों में भागीरथ प्रयास में जुटे ऐसे ही कुछ युवाओं के बारे में हम यहां बता रहे हैं।

हिमाचल: हींग, कॉफी, ऐवाकाडो के 3 लाख+ पौधे मुफ्त किसानों में बांट चुके हैं डॉ. विक्रम

By रोहित पराशर

डॉ. विक्रम कॉफी के अलावा निचले क्षेत्रों में उगाया जाने वाला सेब, कीवी, ऐवाकाडो, पीस्ता और हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए विदेशों से मंहगे दामों में बीज मंगवाकर पहले तो इनकी पौधे अपने यहां तैयार करते हैं और इसके बाद इसे किसान-बागवानों में बांट देते हैं।

21 दिनों का लॉकडाउन: जानिए क्या है इसका मतलब और हम क्या कर सकते हैं, क्या नहीं!

By पूजा दास

इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि लॉकडाउन होने का मतलब क्या होता है, कौन सी सेवाएँ बंद या चालू रहेंगी और आपको यह किस तरह से प्रभावित करेगी!

इन 52 केंद्रों पर करवा सकते हैं कोरोना वायरस का टेस्ट!

By निशा डागर

सरकार ने 22 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेश में कुल 52 केंद्र बनाए हैं। अगर आप को कोरोना के लक्षण दिखे या आपने उन इलाकों की यात्रा की है जो कोरोना से प्रभावित हैं तो जरूर टेस्ट कराएं!

इस महिला के बिना नहीं बन पाती भारत की पहली फिल्म!

By निशा डागर

यह महिला भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म की सिर्फ एडिटर या फिर तकनीशियन ही नहीं थीं, बल्कि फाइनेंसर भी थीं!

7 सरकारी परीक्षाओं में रैंक पाने वाले पूर्व-आईईएस अफसर से जानें UPSC के टिप्स!

By निशा डागर

पूर्व-IES अफसर अखंड स्वरूप पंडित ने UPSC के अलावा Gate, NET, MPPSC, HPPSC जैसी परीक्षाएं भी पास की हैं। सभी परीक्षाओं में उनकी रैंक ऑल इंडिया टॉप 10 में रही!

हर महीने बचाते हैं कुछ पैसे, ताकि गरीब बच्चों का जीवन संवार सकें!

By नीरज नय्यर

कुछ साल पहले सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देखकर नवीन के मन में उन्हें शिक्षित करने का ख्याल आया, ताकि वह इज्जत के साथ रोजी-रोटी कमा सकें।

खेतों में मज़दूरी करके, बेटी से अंग्रेज़ी सीखके, 10वीं की परीक्षा फिर देने चली हैं यह महिला किसान!

By मानबी कटोच

यह कहानी है सविता डकले की, जिन्होंने न सिर्फ अपनी इस आम कहानी को अपनी मेहनत और लगन से ख़ास बनाया बल्कि अपने गाँव की दूसरी महिलाओं को भी अपने नक़्शे कदम पर चलने के लिए प्रेरित किया।