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बेसहारा विधवाओं को सहारा और सम्मान दे रहीं 'ऐंजल ऑफ़ वृन्दावन'

वृन्दावन की सड़कों पर बेसहारा वृद्ध महिलाओं को रेस्क्यू कर उन्हें रहने के लिए घर, पेट भरने के लिए खाना और जीवन यापन का सहारा देती हैं 60 वर्षीय लक्ष्मी गौतम। सड़क पर पड़े-पड़े ही अपने प्राण त्याग देने वालीं माताओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार भी वह खुद ही करती हैं।

हैदराबाद: हर दिन जंगल में पशु-पक्षियों के लिए 400 लीटर पानी भरते हैं 'बाबा' जहाँगीर!

By निशा डागर

अगर आप जहाँगीर से पूछेंगे कि आप इस काम को कब तक करते रहेंगे? तो वह मुस्कुराकर कहते हैं, "जब तक मैं जीवित हूँ।"

कोविड-19 : रोगियों की सेवा के लिए अफ्रीका की आरामदायक ज़िंदगी छोड़ मुंबई लौटीं यह डॉक्टर!

By पूजा दास

डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।

20 सालों से अप्रवासियों के मृत शरीर को देश वापस लाने का नेक काम करते हैं अशरफ!

अभिनेत्री श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को देश वापस लाने के लिए एयरलाइंस की फीस में छूट दिलाने में मदद करने से लेकर अशरफ पिछले 20 सालों में ऐसे कई नेक काम कर चुके हैं, जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड और यहां तक की मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है।

रायपुर में जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने का काम करती है संस्था

अब तक संस्था ने 5450 फ़ूड पैकेट्स जरूरतमंद तक पहुंचाने का कार्य किया है। इसके साथ ही 400 परिवार तक सूखा राशन भी पहुंचा चुकी है।

केवल 10 रूपये में दवा भी और इलाज भी, यह 79 वर्षीय डॉक्टर नहीं हैं किसी मसीहा से कम!

By निशा डागर

"मैंने गरीबी देखी है और मुझे पता है कि कुछ बहुत ज़रूरी दवाइयों के भी पैसे ना जुटा पाना कैसा होता है।"

नागालैंड: 12 साल की उम्र में अनाथ हुआ, आज हज़ारों बेसहारों का बना सहारा!

By निशा डागर

"हर एक जीवन अनमोल है। कुछ लोग अगर मेरी ज़िन्दगी में न होते तो शायद मेरी ज़िन्दगी गलत मोड़ ले सकती थी। मैं भी दूसरों के लिए यही करना चाहता हूँ। मैं दुनिया नहीं बदल सकता, पर मेरा काम दूसरों को उम्मीद दे सकता है और उन्हें बेहतर ज़िन्दगी की तरफ बढ़ने में मदद कर सकता है।"