चलिए आपको मिलाते हैं, अमर्त्य सिन्हा और उनकी पत्नी नूतन सिन्हा से, आज से तीन साल पहले वे 500 मीटर भी ठीक से दौड़ नहीं पाते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फिटनेस को अपने जीवन का उदेश्य बना लिया, आज वे 50 किमी की दौड़ पूरी करने वाले अल्ट्रा रनर बन चुके हैं और अपने साथ कई और लोगों को भी प्रेरित कर रहें हैं।
भारत में, लगभग सभी स्कूली बच्चों, 74% गर्भवती महिलाओं और 67% तक शिशुओं में विटामिन डी की कमी है। हम में से अधिकांश लोग घर के अंदर ही काम कर हैं, जिससे हमारे शरीर को उचित मात्र में यूवीबी किरणें नहीं मिल पाती।
मुंबई के शशांक मोधिया ने साल 2019 में अपने स्टार्टअप 'द रीनल प्रोजेक्ट' की शुरुआत की और इसके तहत वह टियर II और टियर III शहरों में रहने वाले 150 किडनी मरीजों को नियमित रूप से किफायती डायलिसिस की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील आदि को, एक उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।
Bengaluru के रहने वाले डॉ. सुनील कुमार हेब्बी का उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक सही स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना है और इसके लिए वे अब तक 700 से ज़्यादा मेडिकल कैंप कर चुके हैं। इसके साथ ही वे 'राईट टू हेल्थ' मुहीम चला रहे हैं ताकि देश में नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार भी मिले।
डॉ. रेगी एम. जॉर्ज और डॉ. ललिता पिछले 25 सालों से Tamilnadu के सित्तिलिंगी गाँव में आदिवासियों को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। एक झोपड़ी से शुरू हुए अस्पताल को उन्होंने आज 35 बैड वाले आधुनिक अस्पताल में तब्दील कर दिया है।