"अगर आपके आस-पास हरियाली है तो चाहे आप कितने भी तानव में हों, एक सकारात्मक ऊर्जा आपको ज़रूर मिलती है। यही सोचकर मैंने लाइब्रेरी में भी पेड़ लगाए ताकि वहां बैठकर पढ़ने वाले बच्चों का मन इन्हें देखकर शांत और खुश रहे।"
एक बार लोकल ट्रेन से सफर करते वक़्त डॉ. विनी ने कुछ लोगों को रेलवे लाइन से पालक तोड़ते हुए देखा और बाद में, उन्हें पता चला कि यही पालक बाज़ार में आता है। इसके बाद उन्होंने खुद अपनी सब्ज़ियाँ उगाने की ठान ली!
पिछले 11 सालों से जैविक खेती कर रहे राजू राम राठौड़ कहते हैं कि जिन लोगों के पास ज़मीन कम है या फिर बिल्कुल नहीं है, वे इस विधि से सब्ज़ियाँ उगा सकते हैं!
उमेद सिंह पिछले 12 सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं और उनके यहाँ जो भी उपज होती है, वह उनके परिवार के साथ-साथ उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों के यहाँ भी जाती है!