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एक चम्मच इतिहास 'दाल मखनी' का!

वैसे तो दाल की कई वैराइटीज़ काफ़ी फेमस हैं, लेकिन जब बात दाल मखनी की आती है तो मुंह में पानी आना तो लाज़मी है। काली दाल और राजमा में क्रीमी मक्खन का स्वाद किसी के भी दिल में तुरंत जगह बना ले। चावल हो या तंदूरी रोटी, हर चीज़ के साथ इसकी जोड़ी हिट है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वाद आख़िर आया कहां से?

थुकपा और ग्लास नूडल्स! पहाड़ों को मिला रोज़गार और यहाँ का स्वाद पहुंचा पूरे भारत तक

By पूजा दास

अब दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी और कलिम्पोंग के खास उत्पादों को चखने के लिए किसी का इंतज़ार करने की ज़रुरत नहीं है। ‘दम्मी’ (Daammee) नाम के स्टार्टअप ने यहाँ की चीज़ों को ऑनलाइन बेचना शुरु किया है। इसके ज़रिए आप देश में कहीं भी यहाँ के कॉटेज इंडस्ट्री के विभिन्न प्रोडक्ट पा सकते हैं।

100 साल पुराना है ‘केसर दा ढाबा’, लाला लाजपत राय और पंडित नेहरू भी थे जिसके मुरीद

By प्रीति महावर

स्वर्ण मंदिर से लगभग 800 मीटर की दूरी पर, चौक पस्सियां की तंग गलियों में स्थित है 100 साल पुराना ‘केसर दा ढाबा’। दाल मखनी और राजमा चावल जैसे असली पंजाबी स्वाद के लिए तो यह मशहूर है ही, पर क्या आप इसका रोचक इतिहास भी जानना चाहेंगे?