चेन्नई के केके नगर के एक कॉम्प्लेक्स में 10 साल से अधिक समय तक घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली अम्मा इस वायरस से जूझने के बाद लगभग एक महीने तक काम पर नहीं जा सकीं। यह काम उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत था।
एक वक़्त था जब ताड़ के पेड़ से सैकड़ों प्राकृतिक चीजें बनती थीं, जैसे इसके फल से मिठाई, पत्तों से टोकरी जैसे उत्पाद और तो और पहले ताड़ के पेड़ से ही चीनी बनाई जाती थी जो काफी पोषक हुआ करती थी! सतीश की इस कोशिश से जल्द ही वो दिन लौट आएंगे!
30 वर्षीय कौशिक विश्वनाथ न्यूयॉर्क शहर में काम करते हैं। उन्हें पता चला कि वह कोविड-19 से संक्रमित हैं। लेकिन कोविड-19 के साथ जंग में वह जीते और इस बीमारी से पूरी तरह उबरने के बाद द बेटर इंडिया के साथ अपने अनुभव साझा किए।
लॉकडाउन की वजह से बहुत से लोगों की आमदनी रुक गई है और उनके घरों में पर्याप्त खाने-पीने के साधन भी नहीं बचे हैं। ऐसे में आप जैसे सक्षम लोगों को भी ऐसे ज़रूरतमंदों की मदद करने का मिल रहा है मौका!