केले के पत्ते, इमली के बीज, भूसी और मूंगफली के छिलकों से बायोडिग्रेडेबल कटलरी बनाकर कोयम्बटूर के कल्याण कुमार अच्छी कमाई करने के साथ पर्यावरण भी बचा रहे हैं।
केरल के कासरगोड के रहनेवाले देवकुमार नारायणन और उनकी पत्नी UAE में एक इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव में ‘पपला’ कंपनी की शुरुआत की, जिसके तहत वह सुपारी के पत्तों से कई इको-फ्रेंडली सामान बना रहे हैं।
आयोध्या के रहनेवाले वेद कृष्ण ने अपने पिता के गुजर जाने के बाद ‘यश पक्का’ की बागडोर संभाली। उन्होंने गन्ने की खोई से कप-प्लेट बनाकर किसानों और पर्यावरण, दोनों को फायदा पहुँचाया है।