पक्षी का लिए घोंसला लगाकर हम उनका घर नहीं बना रहे बल्कि बस उन्हें घर बनाने की जगह दे रहे हैं। जो हमने अपना घर बनाने के चक्कर में छीन ली थी। अपनी कोशिश से पंजाब के संदीप धौला लोगों को यही बात समझाने में लगें हैं।
एक दिन एक छोटे से कुत्ते की जान बचाने के बाद, कोटा की सोनल गुप्ता की जैसे ज़िंदगी ही बदल गई। उन्होंने बेज़ुबानों के दर्द को महसूस किया और लॉकडाउन में उनका सहारा बनीं। इसके बाद वह शहर में श्वानों की सेवा करने के लिए जानी जाने लगीं। आज वह ‘GSM स्क्वाड’ नाम से अपना NGO चलाती हैं और अब तक 5000 से ज़्यादा पशुओं की जान बचा चुकी हैं।
दिल्ली के रहनेवाले 65 वर्षीय जवाहर लाल लगातार 45 सालों से बिना रुके, बिना थके पक्षियों की निःस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या फिर आंधी-तूफ़ान ही क्यों न आए दिल्ली के आर्कियोलॉजिकल पार्क में वह पक्षियों को रोज़ाना सुबह दाना-पानी देते हैं। इसीलिए आज सब उन्हें बर्डमैन के नाम से जानते हैं।
Haryana में सोनीपत की रहने वाली 21 वर्षीय शैनदीप अरोड़ा अपनी गली में बेसहारा घुमने वाले 50 से भी ज़्यादा कुत्तों की देखभाल करती है। उन्हें दो वक़्त खाना नियमित रूप से खाना खिलाने के अलावा, वे इनके बीमार पड़ने पर इन्हें जानवरों के डॉक्टर के पास भी लेकर जाती हैं।