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#शनिवार_की_चाय

बाबा बुल्ले शाह दा टूथपेस्ट!

By मनीष गुप्ता

बाबा बुल्ले शाह दा टूथपेस्ट - एक कटाक्ष है हमारे आज के बाबाओं पे जो सादगी भूल चुके है. मनीष गुप्ता हर बार ई तरह अपने सहज भाव से एक बड़ी बात कह जाते है.

हम वही काट रहे हैं जो बोया है!

By मनीष गुप्ता

(अ)सभ्यता का आरम्भ /का अंत... हमारी बदलती सम्भयता पर मनीष गुप्ता की दिल दहला देने वाली कविता सुनिए। साथ ही पढ़िए कैसे आम आदमी अपनी ही कुपरिस्तिथि का ज़िम्मेदार है.