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दुर्गाबाई देशमुख: संविधान के निर्माण में जिसने उठाई थी स्त्रियों के लिए सम्पत्ति के अधिकार की आवाज़!

By निशा डागर

दुर्गाबाई देशमुख, एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सेवा की, बल्कि कानून की पढ़ाई कर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। साल 1946 में गठित हुई संविधान सभा का वे अभिन्न अंग थीं। इसके अलावा उन्हें भारत में 'सामाजिक कार्यों की जननी' कहा जाता है।

5 साल के जिस बाल मज़दूर को कैलाश सत्यार्थी ने बचाया था, आज वह वकील बन लड़ रहा है रेप पीड़ितों के लिए!

By निशा डागर

23 वर्षीय अमर लाल कभी भी वकील बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाते यदि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी नहीं होते। आज अमर लाल नोयडा में कानून की पढाई कर रहे हैं। बाल मजदूरी के शिकार, अमर को पांच साल की उम्र में सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के जरिये बचाया गया था।

मुसलमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु, जिनकी वजह से बने किसानों के हित में कानून!

By निशा डागर

मुस्लमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर 1881 में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने वकालत की डीग्री ली। ताउम्र उन्होंने किसानों और गरीबों के लिए काम किया। 9 जनवरी 1945 को उनका निधन हुआ।

मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की वो ग़ज़लें जो कभी प्यार बनी कभी दर्द!

By निशा डागर

उत्तर प्रदेश के अवध के फैज़ाबाद में 7 अक्टूबर 1914 को जन्मीं बेगम अख्तर का नाम अख़्तरी बाई फ़ैज़ाबादी था। अख़्तरी की माँ मुश्तरी बाई एक तवायफ़ थीं और उनके पिता अश्गर हुसैन एक वकील थे। उन्होंने अलग-अलग उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली और मल्लिका-ऐ-ग़ज़ल होने का सम्मान पाया।

जस्टिस एम. फातिमा बीवी: वह महिला जो न केवल भारत में बल्कि एशिया में किसी भी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी!

By निशा डागर

केरल से ताल्लुक रखने वाली फातिमा बीवी पहली महिला न्यायधीश थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। हाल ही में एक बार फिर इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट की न्यायधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गयी है। पिछले 68 सालों में सुप्रीम कोर्ट में केवल छह महिला जज ही रही हैं।

पैरों से ब्रश पकड़ पेंटिंग करने वाले ऋतिक को दिल्ली हाई कोर्ट का तोहफ़ा है कृत्रिम हाथ!

By निशा डागर

दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले 16 वर्षीय ऋतिक, भारतीय संविधान के शिक्षा के अधिकार, 2009 के अंतर्गत कृत्रिम हाथ प्राप्त करने वाले पहले छात्र बने हैं। पेंटिंग करना उनका जूनून रहा है। इससे पहले वे पैर में ब्रश पकड़कर पेंट करते थे। लेकिन अभी सरकार की मदद से उन्हें कृत्रिम हाथ हासिल हुआ है।

योगिता रघुवंशी: एक वकील जो भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर बनी!

By निशा डागर

भोपाल की योगिता रघुवंशी (47 वर्षीय), पिछले 15 सालों से पुरे आत्म-विश्वास के साथ आँध्र प्रदेश से लेकर भोपाल तक दस-पहिया ट्रक चला रही हैं। उन्होंने वकालत की पढ़ाई की है। हाल ही में उन्होंने कोलकाता के सेवा केंद्र के एक सम्मलेन में बंगाल के ट्रक चालकों सम्बोधित किया।