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ब्रिटिश भारत

मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने दिया था यह ऑफर!

By निशा डागर

साल 1936 के बर्लिन ओलिंपिक के दौरान मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को हराया था। उनके खेल से प्रभावित होकर नाज़ी तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मन नागरिकता से साथ-साथ जर्मन सेना में एक ऊँचे पद की पेशकश की थी। जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया।

जॉर्ज सिडनी अरुंडेल: आज़ादी की लड़ाई में यह ब्रिटिश था भारतीयों के साथ!

By निशा डागर

इंग्लैंड के जॉर्ज सिडनी अरुंडेल ने अपना सबकुछ भारत और भारतवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।अरुंडेल का जन्म 1 दिसंबर, 1878 को इंग्लैंड में हुआ था। पर उनकी कर्मभूमि भारत थी। वे एनी बेसेंट के सहयोगियों में से एक थे। उन्होंने एक भारतीय रुक्मिणी शास्त्री से शादी की।

'मलकानगिरी का गाँधी' जिससे डरकर, अंग्रेज़ों ने दे दी थी फाँसी!

By निशा डागर

लक्ष्मण नायक का जन्म 22 नवंबर 1899 को कोरापुट में मलकांगिरी के तेंटुलिगुमा में हुआ था। वह भूयान जनजाति से संबंध रखते थे। उन्होंने आदिवासी आधिकारों के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। बाद में वे कांग्रेस के अभियान से जुड़ गये। 29 मार्च 1943 को बेरहमपुर जेल में उन्हें फांसी दी गयी।

झलकारी बाई : झाँसी की रानी की परछाई बन, जिसने खदेड़ा था अंग्रेज़ों को!

By निशा डागर

झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830 को उत्तर प्रदेश के झांसी के पास के भोजला गाँव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। बताया जाता है कि रानी लक्ष्मी बाई की ही तरह उनकी बहादुरी के चर्चे भी बचपन से ही होने लगे थे। झलकारी बाई को युद्ध के दौरान ‎4 अप्रैल 1858 को वीरगति को प्राप्त हुई।

केसरी सिंह बारहठ: वह कवि जिसके दोहों ने रोका मेवाड़ के महाराणा को अंग्रेजों के दिल्ली दरबार में जाने से!

By निशा डागर

राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म  21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।

करतार सिंह 'सराभा': वह भारतीय क्रांतिकारी, जिसे ब्रिटिश मानते थे 'अंग्रेजी राज के लिए सबसे बड़ा खतरा'!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई, 1896 को हुआ था। उन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता के लिए ग़दर पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। लाहौर षडयंत्र के लिए उन्हें 16 नवम्बर 1915 को फांसी दी गयी।

जतिंद्रनाथ दास: वह क्रांतिकारी जिसने देश की आज़ादी के लिए जेल में दे दी अपनी जान!

By निशा डागर

कोलकाता के एक साधारण बंगाली परिवार में 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्रनाथ दास महज 16 साल की उम्र में ही देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें भी भगत सिंह व बाकी साथियों के साथ पकड़ा गया। लाहौर जेल में भाख हड़ताल करते हुए 63वें दिन उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

झांसी की रानी से भी पहले थी एक स्वतंत्रता सेनानी; जानिए उस वीरांगना की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

कर्नाटक के बेलगावी जिले के कित्तूर तालुका में हर साल अक्टूबर के महीने में 'कित्तूर उत्सव' मनाया जाता है। इस साल भी यह उत्सव 23 अक्टूबर, 2018 से 25 अक्टूबर, 2018 तक मनाया जायेगा। इसकी शुरुआत रानी चेन्नम्मा ने की थी। वे भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने अंग्रेजों को हराया।

इस स्वतंत्रता सेनानी के प्रयासों के कारण बना था काकोरी शहीद स्मारक!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण खत्री का जन्म वर्तमान महाराष्ट्र के जिला बरार के चिखली गाँव में 3 मार्च 1902 को हुआ था। उन्हें 'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन' संगठन का दायित्व सौंपा गया। काकोरी कांड में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 18 अक्टूबर 1996 को उनका देहांत लखनऊ में हुआ।

यथार्थ के कवि निराला की कविता और एक युवा का संगीत; शायद यही है इस महान कवि को असली श्रद्धांजलि!

By निशा डागर

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 21 फरवरी 1899 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के मिदनापुर में हुआ था, हालांकि उन का परिवार उत्तर प्रदेश से था। उन्होंने कविता, कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभ थे। उनकी मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को हुई।