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कोरोना काल में पूरे गाँव की भूख मिटाई इन महिला किसानों की छोटी सी बगिया ने

By पुष्यमित्र

कोरोना काल में जब थाली में दाल को भी तरस रहा था पूरा गांव, इन महिला किसानों ने छोटी सी जमीन पर किचन गार्डन लगा कर पूरे साल के लिए फल, सब्जियां और जड़ी बूटियों का इंतजाम किया और अपने पड़ोसियों की मदद भी की।

बिहार: भाई-बहन की जोड़ी ने बनाया सोलर -स्टोरेज, कीमत सिर्फ 10 हज़ार रुपये

By निशा डागर

बिहार के निक्की कुमार झा और रश्मि झा के स्टार्टअप, सप्तकृषि ने एक उपकरण बनाया है - 'सब्जीकोठी'। इसकी मदद से किसान अपनी उपज को एक महीने तक ताज़ा रख सकते हैं।

एक एकड़ में मोती और मछली पालन का अनोखा मॉडल, खुद कमाए लाखों, बेरोज़गारों को दिया रोज़गार

By निशा डागर

बिहार के पश्चिमी चंपारण में रहने वाले, नीतिल भारद्वाज नौकरी छोड़कर, मोती पालन और मछली पालन कर रहे हैं। उन्होंने 'भारद्वाज पर्ल फार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर' के नाम से अपना ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू किया है, जहाँ लॉकडाउन में बेरोज़गार हुए लोगों को मुफ्त ट्रेनिंग दी गयी।

बाढ़ में सीखनी पड़ी थी तैराकी, आज रिकॉर्ड बनाकर किया देश का नाम रौशन

By निशा डागर

शम्स आलम एक भारतीय पैरा एथलीट हैं, जिन्होंने पैरा तैराकी में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं और कई मैडल भी जीते हैं।

कोरोना संकट में थैलासीमिया पीड़ित बच्चों तक ब्लड पहुंचा रहे हैं पटना के मुकेश हिसारिया

By पुष्यमित्र

चूंकि इनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से आते हैं, इसलिए उनके परिवार में इन दिनों खाने-पीने की भी दिक्कत हो रही है। वह उन्हें मुफ्त राशन भी उपलब्ध करा रहे हैं।

बिहार: धान की भूसी से पक रहा है खाना, 7वीं पास के इनोवेशन ने किया कमाल!

By निशा डागर

बहुत-से किसान अब धान की भूसी को फेंकने की बजाय बाज़ारों में इसे 10 रुपये किलोग्राम की दर से बेचते हैं!

कभी बाढ़-प्रभावित रहे इस गाँव में आज लगे हैं 1 लाख से भी ज़्यादा पेड़!

By निशा डागर

गाँव में 10 किमी लम्बी नहर का निर्माण भी हुआ है, जिससे गाँव की 3, 000 एकड़ ज़मीन की सिंचाई अच्छे से हो रही है!

प्लास्टिक के बदले 250 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा, किताबें और खाना दे रहा है यह स्कूल!

By निशा डागर

प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा कर स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में डालने के अलावा, बच्चे सड़क के दोनों ओर लगे 2, 000 पौधों को पानी भी देते हैं।

'गीली मिट्टी' के ज़रिए भूकंप और फ्लड-प्रूफ घर बना रही है यह युवती!

By निशा डागर

'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!