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कर्ज में डूबे ऑटो चालक के लिए मसीहा बना समाज, जानिए पूरी कहानी

पुणे के रहने वाले शिवाजी कांबले, कर्ज में डूबे हुए थे। उनके पास इतने पैसे भी नहीं बचे थे कि वह अपने माता-पिता को ठीक से खाना खिला सकें। ऐसे में वह उन्हें किसी तीर्थ स्थल पर छोड़ने चले गए। इसी क्रम किसी ने उसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उससे उनकी जिंदगी बदल गई।

उम्र 105 वर्ष, काम -जैविक खेती, मिलिए इस दादी से!

जब आज की पीढ़ी 50 साल की उम्र तक रिटायर होने की योजना बना रही है, तो 105 वर्षीय पप्पम्मल की कहानी सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, क्योंकि आज भी, हर दिन वह अपने खेती कार्यों को करती हैं।

किसानों को उद्यमी बनाने के लिए छोड़ी पत्रकारिता, 2500+ किसानों को दे चुके हैं प्रशिक्षण

झारखंड के देवघर में रहने वाले कृष्ण कुमार कन्हैया ने अपने 20 वर्षों के पत्रकारिता कैरियर ने दौरान, अन्न दाता, समय चौपाल जैसे कई लोकप्रिय कृषि आधारित कार्यक्रमों को चलाया है। लेकिन, जब उन्हें लगा कि किसानों की बेहतरी के लिए उन्हें कुछ अलग पहल करनी चाहिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और लग गए किसानों को नई राह दिखाने में।

परिस्थिति के आगे घुटने न टेक, संपन्न और शिक्षित उर्वशी ने खोला छोले कुलचे का ठेला!

उर्वशी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक फेसबुक पोस्ट उनके जीवन को बदल देगा |इनकी कहानी फेसबुक पर छा गयी और जल्दी ही इनके ठेले पर पूरे गुड गाँव से लोग आने लगे |

पूरे गाँव की मदद से एक दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने IIT में पढ़ाई की और आज है गूगल में इंजीनियर!

राजस्थान के छोटे से कस्बे से गूगल अमेरिका मे इंजीनीयर बनने तक, रामचंद्र के संघर्ष व इस गाँव के लोगों में बसी एक दूसरे की मदद की भावना की कहानी।

स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक विचार, जो आपको जीने की नयी राह देंगे!

By मानबी कटोच

आज स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि है. राष्ट्रिय युवा दिवस पर पढ़िए स्वामी विवेकानंद के दस प्रेरणादायक विचार जो आपको जीने की नयी राह देंगे!

पुणे के प्रकाश केलकर, किसानो और सैनिकों को दे रहे है अपने जीवन भर की पूँजी!

By मानबी कटोच

पुणे के प्रकाश केलकर, जो एक कपड़ा व्यवसायी रह चुके है किसानो और सैनिकों अपने जीवन भर की पूँजी दान कर रहे है. उनके इस कार्य में उनकी पत्नी भी साथ दे रही है.

बानू शेख सफी : एक कचरा बिनने वाली से एक कामयाब नर्स बनने का सफ़र!

By मानबी कटोच

वे दिन भर कचरा बिनती, उन्हें इकठ्ठा करके चुनती और फिर कबाड़ी वाले को बेचने जाती। पर इस कठोर संघर्ष के बावजूद इन दोनों ने अपनी पढाई कभी नहीं छोड़ी।