105 वर्षीय दादी से आपका सामना हर दिन नहीं होता है और जब ऐसी दादी से मिलने का मौका मिलता है तो पहला सवाल मन में यही उठता है कि आखिर उम्र के इस पड़ाव में ऐसे लोगों की जीवनशैली और दिनचर्या कैसी होती है। शायद यही कारण है कि जब मैंने 105 वर्षीय पप्पम्मल (उर्फ रंगमाला) को 3 बजे के आस-पास इस इंटरव्यू के लिए फोन किया, तो मेरा पहला सवाल यही था कि दादी, मैं आपको डिस्टर्ब तो नहीं कर रही हूँ! मेरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अभी खेतों में काम कर रही हूँ, आपको बाद में फोन करना चाहिए।”
देर शाम उनके वापस आने के बाद हमने बात की। द बेटर इंडिया से खास बातचीत में, पप्पम्मल ने अपने जीवन के कई पहलुओं को साझा किया और अपने स्वास्थ्य और लंबे जीवन को रहस्यों के बारे में जानकारी दी।
बता दें पप्पममल का जन्म 1914 में, तमिलनाडु के देवलपुरम गाँव में हुआ। जब वह बहुत छोटी थीं, उनके माता-पिता का निधन हो गया। इसके बाद, उनका पालन-पोषण कोयम्बटूर जिले के थेक्कमपट्टी में उनकी नानी ने किया और वह फिलहाल, वहीं रहती हैं।
इस तरह, पिछले एक सदी के दौरान, पप्पम्मल की जिंदगी दो विश्व युद्धों, भारत की आजादी, कई प्राकृतिक आपदाओं और अब कोरोना महामारी से गुजरी है।
पप्पम्मल के जीवन के बारे में एक परिप्रेक्ष्य को आप इस तरीके से समझ सकते हैं कि उनके जीवन के शुरूआती वर्षों के दौरान एक कप चाय की कीमत 1 पैसे से अधिक नहीं होगी।
यदि आपको लगता है कि वह 1914 में पैदा हुईं थी, तो वह जीवन में घरेलू कामों और रूढ़िवादी विचारों के साथ आगे बढ़ीं, तो आप गलत हैं। पप्पम्मल ने अपने जीवन में कभी इस तथ्य को सामने आने नहीं दिया कि वह एक महिला हैं, उन्होंने हमेशा वही किया जो वह करना चाहती थीं, उनके जीवन के अनुभवों से हमें जीवन को नए और विशेष ढंग से समझने में मदद मिलती है।
प्रारंभिक जीवन
वह कहती हैं, “जब मैं बड़ी हो रही थी, तो उस वक्त कोई औपचारिक स्कूल नहीं हुआ करता था। मैंने गणित, गिनती आदि जो कुछ भी सीखा वह सब पल्लंघुज़ी खेल (दक्षिण भारत में खेला जाने वाला पारंपरिक प्राचीन मंकला) के जरिए सीखा।”
वह बताती हैं कि उस वक्त यदि कोई पाँचवी कक्षा तक पढ़ लेता था, तो वह शिक्षक बनने के योग्य हो जाता था। पप्पम्मल को काफी कम उम्र में ही खेती कार्यों से लगाव हो गया था और वह खेती सीखने में काफी वक्त गुजारने लगीं।
करीब पचास साल पहले अपनी दादी की मृत्यु के बाद, उन्हें विरासत के तौर पर, थेक्कमपट्टी में एक छोटा सा प्रोविजन स्टोर मिला, जिसमें उन्होंने एक होटल की शुरूआत की।

सेविंग्स के महत्वों का जिक्र करते हुए, पप्पम्मल कहती हैं, “खेती एक ऐसी चीज थी, जिसमें मेरी शुरू से ही रुचि थी। मैंने दुकान पर कमाई से पैसा बचाया और इससे मैंने खेती के लिए 10 एकड़ जमीन खरीदी।”
इसके बाद, पप्पम्मल ने मकई, कई प्रकार के दलहनों, कुछ सब्जियों और फलों की खेती शुरू की, जिसे वह परिवार में खान-पान के लिए इस्तेमाल करती थीं। औपचारिक रूप से खेती सीखने के लिए उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) में दाखिला ले लिया। जब उनसे जानने के कोशिश की गई कि उन्होंने कॉलेज में नामांकन कब करवाया, तो उन्होंने कहाँ कि इस चीज कई वर्ष हो चुके हैं और वर्ष याद नहीं है।
पप्पम्मल को जो याद है उसके बारे में वह कहती हैं, “मैं शिक्षकों से हमेशा एक छात्र के रूप में सवाल पूछती थी। कोई भी ऐसा सत्र नहीं होता था, जिसमें मैं सवाल नहीं पूछती थी। इस कारण जल्द ही मुझे हर कोई जानने और पसंद करने लगा।”
दादी को कहा जाता है ‘अग्रणी किसान’
लगभग 60 दशक तक खेती-किसानी करने के बाद, विश्वविद्यालय का कार्यभार संभालने वाले किसी कुलपति ने पप्पम्मल को एक ’अग्रणी किसान’ के रूप में संबोधित किया। साथ ही, उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित डिबेट कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित भी किया गया था।
संयोगवश, पप्पममल को 1959 में थेक्कमपट्टी पंचायत के पार्षद के रूप में भी चुना गया था – जो 1958 में तमिलनाडु पंचायत अधिनियम को अपनाने के बाद इस तरह का पहला चुनाव था।
हालांकि, समय और उम्र बीतने के साथ, पप्पम्मल के लिए पूरे 10 एकड़ जमीन पर खेती करना कठिन था, इसलिए 25 वर्ष पहले इसका एक हिस्सा बेच दिया था, लेकिन लगभग 2.5 एकड़ जमीन पर उन्होंने अपना काम जारी रखा।
जब आज की पीढ़ी 50 साल की उम्र तक रिटायर होने की योजना बना रही है, तो पप्पम्मल की कहानी सिर्फ एक उदाहरण नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, क्योंकि आज भी, हर दिन वह अपने खेती कार्यों को करती हैं। वह जैविक खेती करती हैं और कहतीं हैं, “आज की युवा पीढ़ी तुरंत परिणाम चाहती है और शायद यही वजह है कि ऐसे लोगों के पास जैविक खेती में निवेश करने का समय नहीं है।”
3000 लोगों के साथ मनाया जन्मदिन
पाँच साल पहले, जब पप्पम्मल 100 साल की हुईं तो स्थानीय लोगों ने उनका जन्मदिन बेहद खास ढंग से मनाया। इसके बारे में वह कहती हैं, “इस सभा में लगभग 3000 लोग शामिल हुए थे। यह एक एक बड़ा उत्सव था, हमने उस दिन लोगों की खातिरदारी में खीर से लेकर मटन और चिकन बिरयानी तक बनाई और सुनिश्चित किया कि हर कोई दिल से खाए और घर जाए।”
जन्मदिन के बारे में लोगों को बताने के लिए पूरे शहर में फ्लेक्स बोर्ड लगाए गए थे और इसे लेकर पप्पम्मल का कहना है, “इन चीजों से मुझे बेहद खास महसूस हुआ। मुझे अक्सर नवविवाहितों को आशीर्वाद देने के लिए शादियों में बुलाया जाता है और ऐसे आयोजनों का हिस्सा बनकर मैं काफी रोमांचित महसूस करती हूँ।”
वह यह भी बताती हैं कि कई लोग उनके पास सेल्फी लेने के लिए आते हैं और उन्हें खड़े होने और मुस्कुराने के तरीके भी बताते हैं और वह किसी को निराश नहीं करतीं हैं।
पप्पममल की पोती अक्षिता का कहना है, “दादी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, लेकिन मैंने जो एक चीज सीखी है वह है सोने में समय बर्बाद न करना, जीवन में बहुत कुछ हासिल करना है।”
वहीं उनकी बहू कहती हैं, “दादी की वजह से हम गौरवान्वित महसूस करते हैं। इस उम्र में भी, वह अपने खान-पान को लेकर काफी सतर्क रहतीं हैं और वह वही खाना खाती हैं जो स्थानीय और ताजा हो। चाहे बाजरा दलिया हो या मटन बिरयानी, वह हमेशा सादे भोजन को चुनती हैं और हमें भी स्थानीय खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल के प्रति प्रोत्साहित करती हैं।”
डॉ. पवित्रा, जिनका पप्पम्मल गाँव में एक क्लिनिक है, का कहना है, “दादी मेरे क्लिनिक में नियमित रूप से आती हैं, और आज भी, उनका रक्तचाप और शुगर 100 प्रतिशत सामान्य है।”
जैसे ही हमारी बातचीत समाप्त होती है, पप्पममल मुझसे पूछते हैं कि मैं कहाँ रहती हूँ, जब मैंने बताया कि मैं गुड़गाँव में रहती हूँ, तो वह कहती हैं, “मैं भी दिल्ली कई बार गई हूँ, यहाँ तक कि राष्ट्रपति आर वेंकटरमण के बुलावे पर मैंने राष्ट्रपति भवन में चाय भी ली थी।”
105 की उम्र में भी पप्पममल, सभी काम खुद करतीं हैं। यह दादी न केवल हम सभी के लिए एक प्रेरणा हैं बल्कि एक लिविंग लीजेंड भी हैं।
“उम्र किसी भी चीज के लिए बाधा नहीं बन सकती है और हमेशा याद रखें कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है।” 105 वर्ष की उम्र में किसी के ऐसे सलाह को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
मूल लेख – VIDYA RAJA
यह भी पढ़ें – पाँच महिलाएं जिन्होंने उस उम्र में शुरू किया अपना बिज़नेस, जब आप रिटायर होने की सोचते हैं
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: