लुधियाना, पंजाब के रहने वाले 39 वर्षीय बैंक क्लर्क अंकित गुप्ता ने यूट्यूब से हाइड्रोपोनिक्स विधि सीखकर, अपने घर की छत पर यह सेटअप लगाया और आज वह हर महीने 40 हजार रुपए से ज्यादा की सब्जियां ग्राहकों तक पहुँचा रहे हैं।
केरल के तिरुवनंतपुरम निवासी, राजमोहन ने अपने घर की छत पर ग्रो-बैग्स में अंगूर उगाकर इस धारणा को बदल दिया है कि अंगूर केवल पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगते हैं।
हैदराबाद की रहने वाली एक गृहिणी, दर्शा साई लीला अपनी छत पर 600 से अधिक पौधों की बागवानी करती हैं, जिसमें आम, नारंगी, लीची, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, से लेकर एवोकाडो तक शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के रहने वाले सुबोध भोई और उनकी पत्नी ईश्वरी भोई, पेशे से एक शिक्षक हैं। लेकिन, पिछले 8 वर्षों से, अपने व्यस्त दिनचर्या के बीच, दोनों टेरेस गार्डनिंग कर, अपनी बागवानी की रुचि को एक नया आयाम दे रहे हैं।
साल 2019 में, आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर दीपक जॉन मैथ्यू ने अपने घर के बगीचे में टैपिओका लगाया। इसके करीब 8 महीने बाद, उन्हें 24 किलो टैपिओका की फसल मिली, जो औसतन 6 किलो के अनुमानित उपज से चार गुना ज्यादा था।
केरल के कोक्कवड गाँव के रहने वाले जोशी मैथ्यूज के पास 0.25 एकड़ जमीन है, जहाँ उन्होंने जैविक खेती और मछली पालन से लेकर मधुमक्खी पालन की सुविधा भी विकसित कर ली है।
उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाली मंजू लता मौर्य पिछले दो दशक से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रही हैं। आज उनके बगीचे में सैकड़ों फूल और सजावटी पौधे होने के साथ-साथ कई बोनसाई पेड़ भी हैं।