सूरत, गुजरात के रहने वाले प्रवीण पटेल ने इजराइल से जैविक खेती की तकनीक सीखकर खीरा, खरबूज, तरबूज, स्ट्रॉबेरी जैसे कैश क्रॉप की खेती शुरू की, जिनसे आज वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
अहमदनगर, महाराष्ट्र के 11 किसानों ने लॉकडाउन के दौरान, ‘KisanKonnect’ नामक कंपनी बनाई, जिसका उद्देश्य मुंबई, पुणे के ग्राहकों को बिना किसी बिचौलिये के सब्जियां बेचना और अधिक मुनाफा कमाना है।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में दादलू गाँव के रहने वाले हरबीर सिंह एक प्रगतिशील किसान हैं और अपने खेतों में एक हाई-टेक नर्सरी चला रहे हैं। अपनी नर्सरी में वह सब्जियों की पौध तैयार करते हैं, जो आज इटली तक भी पहुँच रहे हैं।
हरियाणा के करनाल में रहने वाले इंजीनियर, निर्मल सिंह सिद्धू ने MNC की नौकरी छोड़कर केंचुआ खाद बनाने का काम शुरू किया। आज वह अपनी वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट, 'हरकिरपा ऑर्गेनिक्स' चला रहे हैं, जिससे उन्हें लाखों की कमाई हो रही है।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सिरकोट गाँव के रहने वाले 55 वर्षीय जगदीश चंद्र कुनियाल ने पिछले 30 सालों में लगभग 15000 पेड़-पौधे लगाकर, गाँव के पुराने झरने को एक बार फिर से जीवित कर दिया है।
'पूसा फार्म सनफ्रिज' को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि इंजीनियरिंग विभाग की प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. संगीता चोपड़ा और उनकी टीम ने अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर बनाया है। इस कोल्ड स्टोरेज सुविधा को किसानों के लिए खेतों, मंडियों या बाज़ारों में भी बनाया जा सकता है।
मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।
गुजरात के जूनागढ़ में पिखोर गाँव के रहने वाले, अमृत भाई अग्रावत (75) किसानों के लिए कई तरह के आविष्कार करके, उनकी समस्याओं को हल करते हैं। अपने इन्हीं कार्यों के लिए, उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं और उनके एक आविष्कार को पेटेंट भी मिला है।