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प्रेरक लाइब्रेरियन: रोज़ 4 किमी पैदल चलकर, गृहिणियों और बुजुर्गों तक पहुंचाती हैं किताबें

By निशा डागर

केरल के वायनाड जिले में रहने वाली 64 वर्षीया राधामणि, ‘प्रतिभा पब्लिक लाइब्रेरी’ नामक एक स्थानीय लाइब्रेरी में काम करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनका काम लाइब्रेरी में बैठकर लोगों को किताबें देना नहीं है बल्कि वह हर रोज लगभग चार किमी पैदल चलते हुए, घर-घर जाकर लोगों को किताबें देकर आती हैं।

पुणे की यह छात्रा युवाओं को ले जा रही है नेटफ्लिक्‍स से किताबों की दुनिया में

By अलका कौशिक

शहर में जिस तेजी से शू स्टोर खुलते हैं उतनी रफ्तार से बुक स्टोर नहीं खुल रहे। और पहले जैसी लाइब्रेरी की परंपरा भी चूकने लगी है। लेकिन इस दौर में अक्षता जैसे युवा सब्र का मंज़र दिखाते हैं। वो याद दिलाते हैं कि सब कुछ चूका नहीं है।

टेलीविज़न के इतिहास की एक बेजोड़ कृति; कैसे बनी थी, श्याम बेनेगल की 'भारत एक खोज'!

By निशा डागर

श्याम बेनेगल हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। 14 नवंबर 1934 को आंध्र-प्रदेश में जन्में श्याम बेनेगल ने फिल्मों के साथ-साथ टीवी धारावाहिक व डोक्युमेंटरी भी बनाई हैं। उनके द्वारा भारतीय इतिहास पर बना दूरदर्शन का धारावाहिक 'भारत एक खोज' नेहरु की किताब 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' पर आधारित था।

'बुक थीफ ओपन लाइब्रेरी': आप भी भेज सकते हैं किताबें इन किताब-चोर बच्चों के लिए!

By निशा डागर

"हर एक बच्चे को अच्छी किताबें पढ़ने का हक है। फिर चाहे वह बच्चा स्कूल जाता हो या नहीं, क्योंकि ज्ञान सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं है। इसीलिए मेरी लाइब्रेरी हर किसी के लिए है!"

मुंबई में इस गणेशोत्सव पर 'दानपेटी' में पैसे नहीं बल्कि 'ज्ञानपेटी' में किताबे डाले!

By निशा डागर

इस गणेश चतुर्थी के मौके पर महाराष्ट्र के मुंबई में एक एनजीओ 'परिवर्तन' ने शहर भर में गणेश पंडालों में दानपेटी की जगह 'ज्ञानपेटियाँ' रखी हैं। जिसमें वे लोगों को पैसों की बजाय पुरानी किताबें, कॉपी, पेंसिल और अन्य स्टेशनरी सामान दान करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। 

पुणे: आईपीएस अफ़सर की अनोखी पहल; गुलदस्तों की जगह मांगी किताबें!

By निशा डागर

महाराष्ट्र के पुणे ग्रामीण क्षेत्र में संदीप पाटिल को नए पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने सभी नागरिकों और अधिकारीयों से अपील की है कि यदि कोई भी उन्हें उनकी नियुक्ति पर बधाई देने जाता है तो वह उनके लिए फूलों के गुलदस्ते की बजाय कोई भी ज्ञानवर्धक किताब उपहार स्वरूप उन्हें दे।

कभी 40 कम्पनियों से नकारे गए थे ये इंजिनियर; आज हैं एक सफल स्टार्ट अप के मालिक!

By विनय कुमार

'पढ़ेगा इंडिया' साउथ दिल्ली में सेकेण्ड हैण्ड किताबें ऐसे लोगों तक पहुंचा रहा है जिनके पास महँगी किताबें खरीदने की क्षमता और दुर्लभ किताबों तक पहुँच नहीं है.