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जानिए कैसे कर्नाटक में व्हाट्सअप ग्रुप के जरिये डॉक्टर बचा रहे हैं ज़िंदगियाँ!

By निशा डागर

चार साल पहले, मंगलुरु के कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ पद्मनाभ कामथ को यह जानकर सदमा लगा कि कर्नाटक के दूरगामी इलाकों में एक युवा मरीज की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी क्योंकि डॉक्टर वक़्त रहते उसका इलाज़ नहीं कर पाए। और यहीं से उनके व्हाट्सअप ग्रुप की शुरुआत हुई -'कार्डियोलॉजी एट डोरस्टेप'!

मूर्ति चोरी होने से दुखी 61 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति ने मैसूर में बनवाया गणेश-मंदिर!

By निशा डागर

कर्नाटक में मैसूर के चामराजनगर ज़िले से 14 किलोमीटर दूर एक मुस्लिम व्यक्ति ने गणपति के लिए मंदिर बनाया है। जहां आने वाले दो दिनों में पुरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम होगी वहीं टी. रहमान भी अपने इस मंदिर में विघ्नहर्ता की मूर्ति की प्रतिष्ठा करेंगें।

उषा रानी: फूल बाँधने से लेकर एशियाई खेलों में भारत के लिए रजत पदक जीतने तक का सफ़र!

By निशा डागर

हाल ही में, एशियाई खेल 2018 के कबड्डी प्रतियोगिता में भारतीय खिलाड़ी उषा रानी ने सिल्वर मेडल जीता है। उषा कर्नाटक के दोड्डाबल्लापुर पुलिस स्टेशन में कॉन्सटेबल हैं और साथ ही भारतीय महिला कबड्डी टीम की सदस्य भी हैं। उन्होंने जीवन में इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष किया है।

अपने अधिकार के लिए महिला ने लड़ी कानूनी लड़ाई, बिना किसी संबंध के आर्मी अफ़सर को दी किडनी!

By निशा डागर

राजस्थान से ताल्लुक रखने वाली 48 वर्षीय वर्षा शर्मा अपने एक दोस्त को किडनी दान करना चाहती थी। उनका दोस्त भारतीय सेना में एक सेवारत अफसर है। जिनका नाम कर्नल पंकज भार्गव है। हाल ही में, कर्नाटक हाई कोर्ट ने वर्षा को किडनी दान करने की इजाजत दे दी है। सर्जरी कोलम्बिया एशिया अस्पताल में पूरी हुई।  

बेटी की याद में कर्नाटक के स्कूल क्लर्क की पहल, उठा रहे हैं गरीब लड़कियों की शिक्षा का खर्च!

By निशा डागर

कर्नाटक के कलबुर्गी के मकतमपुरा में स्थित एमपीएचएस सरकारी हाई स्कूल के क्लर्क बसवराज आज बहुत सी लड़कियों के लिए मसीहा बन गए हैं। वह गरीब लड़कियों को शिक्षा के लिए लिए साधन प्रदान कर उनका जीवन संवार रहे हैं। बसवराज की मदद से 45 लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर पा रही हैं।

पूरी दुनिया में कर्नाटक की इन महिलाओं द्वारा बनाये गए तिरंगों को किया जाता है सलाम!

By निशा डागर

कर्नाटक का तुलसीगरी में भारत की एकमात्र तिरंगा बनाने वाली कंपनी हैं। कर्नाटक कॉटन विलेज एंटरप्राइज में अधिकांश स्थानीय औरतें काम करती हैं। राजधानी से 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) दूर इस कंपनी में लगभग 400 कर्मचारी काम करते हैं। जिनमें से औरतों की संख्या पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा है। 

108 साल पुराना यह सरकारी स्कूल अपनी बंजर ज़मीन में खेती कर, हर साल कमा रहा है 4 लाख रूपये!

By निशा डागर

मैंगलुरु के मितूर का उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूल सुविधाओं के मामले में आज निजी स्कूलों की बराबरी कर रहा है। स्कूल में पड़ी बंजर भूमि को एक फार्म में तब्दील कर उससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल स्कूल के विकास के लिए किया जा रहा है। कर्नाटक का यह स्कूल लगभग 108 साल पुराना है।

हाथों से विकलांग यह अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी अपने गाँव में ला रहा है हरित क्रांति!

By निशा डागर

टी.वी सुब्रमणी, जो कि बैंगलोर से ताल्लुक रखते हैं और अंत्तराष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में डिस्क थ्रो और भाले में दो स्वर्ण पदक व एक रजत पदक जीत चुके हैं। उन्होंने एक हरित मिशन की शुरुआत की है जिसके तहत वे अपने गांव में एक जंगल विकसित करना चाहते हैं और पुरे कर्नाटक में हरित क्रांति लाना चाहते हैं।

रेलवे की नयी पहल : अब बोतल क्रशर मशीन में बेकार बोतल डालिये और 5 रूपये प्रति बोतल कमाइए !

By निशा डागर

बैंगलोर रेलवे डिवीजन ने मुख्य स्टेशनों पर बोतल क्रशर मशीन लगवाई हैं, जिनमें यदि कोई व्यक्ति बेकार बोतल डालता है तो उसे प्रत्येक बोतल के लिए 5 रूपये उसके ई-वॉलेट में दिए जायेंगे। बैंगलोर से पहले इस तरह की मशीनें मैसूर, मुंबई, पुने और अहमदाबाद स्टेशनों पर भी लगाई गयी हैं।

माँ-बाप ने पैदा होते ही छोड़ा, महिला कॉन्सटेबल ने अपना दूध पिला बचाई जान

By निशा डागर

बैंगलोर में पुलिस कॉन्सटेबल अर्चना ने अपने माता-पिता द्वारा छोड़े गए नवजात शिशु को बचाने के लिए उसे अपना दूध पिलाया। इस बच्चे को बैंगलोर की पुलिस ने कर्नाटक के सीएम के नाम पर 'कुमारस्वामी' नाम दिया है। अभी बच्चा शिशु मंदिर अनाथालय की देख-रेख में है।