चार साल पहले, प्रफुल्ल बिल्लौरे ने CAT परीक्षा में 3 बार फेल होने के बाद चाय बेचने का फैसला किया और आज MBA चायवाला नाम से करोड़ों का बिज़नेस चला रहे हैं।
70 साल की कंचन परुलेकर, महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक संगठन, स्वयंसिद्ध का संचालन करती हैं और इसके ज़रिए उन्होंने करीब 29 सालों में 20 हज़ार से भी अधिक महिलाओं को उद्यमी बनाने का काम किया है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, मध्य प्रदेश के अनुराग असाटी और उनके पार्टनर कवीन्द्र रघुवंशी ने ‘द कबाड़ीवाला’ बिज़नेस शुरू किया, जिसके तहत आज वे देश के पांच शहरों से कबाड़ इकट्ठा करके उसे रीसायकल करने का काम कर रहे हैं।
मुंबई के विले पार्ले में जन्मीं गीता पाटिल ने पति की नौकरी जाने के बाद, मजबूरी में काम करना शुरू किया था और आज वह करोड़ों का बिज़नेस चला रही हैं। साथ ही, शार्क टैंक सीज़न 2 में 40 लाख की फंडिंग भी हासिल की है।
महाराष्ट्र के बीड के रहनेवाले किसान के बेटे वैभव तिड़के ने उपज को बर्बाद होने से बचाने और शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए बनाया सोलर ड्रायर और खड़ा कर दिया करोड़ों का बिज़नेस।
दिल्ली के नज़फ़गढ़ में रहने वाली कृष्णा यादव, 'श्री कृष्ण पिकल्स' नाम से अपनी कंपनी चला रही हैं और उनके बनाये अचार, कैंडी, मुरब्बा, जूस की मांग आज दिल्ली के आसपास के सभी राज्यों में है। आज दिल्ली में उनकी कई फैक्ट्रीज़ हैं और उन्हें 'नारी शक्ति अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
गोरखपुर की संगीता पांडेय, जिन्हें कभी लोगों ने हर वह बात कही, जिससे उनका हौसला टूट जाए, लेकिन फिर भी वह हालातों और समाज दोनों से लड़ीं, तमाम मुश्किलों के बावजूद अड़ी रहीं और मिठाई के डिब्बे बनाकर करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर दिया।