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अनुभव

"मेरे शरीर ने उस कला को अपना लिया, जिसके लिए मैंने अपना बचपन दे दिया!"

By निशा डागर

पढ़िये राजस्थान की सांस्कृतिक धरती से आने वाले इस संगीतकार का अनुभव, जिन्होंने अपने बचपन को संगीत-साधना में बीता दिया और आज भी इनके लिए संगीत से बढ़कर कुछ नहीं!

"मैं खुद अपना बॉस हूँ; कोई मुझे काम से निकाल नहीं सकता!"

By निशा डागर

पढ़िए मुंबई में रहने वाले इस मोची के बारे में, जिन्हें अपने काम से पूरी संतुष्टि है और उन्हें कोई डर नहीं कि कोई उन्हें काम से निकाल देगा। वे अब खुद अपने बॉस हैं।

ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियाँ हमेशा ही बहुत ख़ास और ज़रूरी होती हैं!

By निशा डागर

ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी ख़ुशी बहुत मायने रखती है। आपको बस हर एक लम्हे को जीना आना चाहिए। यही कहना है मुंबई के एक शख्स का, जो ड्राईवर है और अपनी ज़िंदगी में खुश है।

#अनुभव : "चलते-चलते ही मरना है"; क्योंकि जीना इसी का नाम है!

By निशा डागर

ह्युमंस ऑफ़ बॉम्बे (मुंबई) ने एक बुजुर्ग महिला का अनुभव साझा किया है। ये प्यारी-सी दादी पूरे 100 की उम्र पार करने वाली हैं। उन्होंने ज़िन्दगी में बहुत कुछ देखा है और अपने इसी अनुभव से वो सबको कहती हैं कि कुछ भी हो, हमें बस आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी कभी नहीं रूकती।

#अनुभव : 'भविष्य के लिए बचत करने से बेहतर है कि किसी के आज को संवारा जाए'!

By निशा डागर

बिहार के इस प्राथमिक टीचर ने अपने एक गरीब छात्र की स्कूल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। आज उनका वह छात्र एक डॉक्टर है और आज भी वह अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से वक़्त निकाल कर अपने गुरु से मिलने गाँव जरुर आता है।

ज़िंदगी को पूरी तरह से जियो ताकि आख़िरी पलों में कोई पछतावा न रहे!

By निशा डागर

Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।

ईमानदारी और इंसानियत की मिसाल पेश करता एक कैब ड्राईवर, पढ़िए ये पोस्ट!

By निशा डागर

बंगलुरु निवासी चंदन पांडेय नाम के एक फेसबुक यूजर ने एक कैब ड्राईवर के बारे में एक पोस्ट साँझा की है। इस पोस्ट को पढ़कर आप एक बार फिर सच्चाई और इंसानियत में विश्वास करने लगेंगे। चंदन ने अपनी पोस्ट में बताया है कि कैसे दिल्ली में उनके साथ हुए एक वाकया ने उनका नजरिया लोगों की अच्छाई के प्रति और भी मजबूत कर दिया है।

"अपने काम के साथ अपनी राह बनाते रहो और इस राह में दूसरों की मदद करना मत भूलो!"

By निशा डागर

मुंबई की सना शेख़ ने कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ एड्स पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पुरे भारत में प्रोग्राम किया और यूनिसेफ के साथ भी जुड़ी रहीं। आज वे एमबीए की डिग्री पूरी कर कंपनी में मार्केटिंग की एसोसिएट डायरेक्टर हैं और साथ ही सोशल वर्क भी कर रही हैं।

एक बेहतरीन बिज़नेस टाइकून ही नहीं बल्कि एक बेहतर इंसान भी थे जेआरडी टाटा!

By निशा डागर

ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे ने टाटा कंपनी के फाउंडर मिस्टर जेआरडी टाटा की पूर्व सेक्रेटरी का इंटरव्यू किया। उन्होंने मिस्टर टाटा के साथ 15 साल काम किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट मिस्टर टाटा के व्यक्तिगत स्वाभाव के बारे में बहुत सी बाते बताई हैं जो उन्हें बहुत खास बनाती हैं।