मिट्टी के प्लास्टर ने बढ़ाई घर की ठंडक, 70% कम आता है बिजली का बिल

केरल के पारम्परिक घर के साथ पर्यावरण का ध्यान रखते हुए कोड़िकोड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुब्रमनिया ने अपने लिए एक खूबसूरत घर बनाया है, जो देखने में भले आलिशान हो, लेकिन अनुभव मिट्टी के घर में रहने का देता है।

Kerala Mud House

[embedyt]

सामान्य दो कमरे के फ्लैट में भी अगर आप ACऔर हीटर जैसी चीजें चलाते हैं, तो बिजली का बिल तीन-चार हजार तो आराम से आ जाता है। लेकिन कोड़िकोड, केरल के सुब्रमनिया और गीता दास के चार कमरों वाले दो मंजिला बंगलों का बिजली का बिल 1200 रुपये से ज्यादा कभी नहीं आता। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका यह घर (Eco-friendly House) रोशनी और ठंडक के लिए कृत्रिम चीजों के बजाय प्राकृतिक तकनीकपर निर्भर है।

पुलिस फोर्स में नौकरी करते हुए सुब्रमनिया सालों तक कंक्रीट के घर में ही रहते थे और गर्मियों में हमेशा एसी का इस्तेमाल भी करते थे। लेकिन रिटायर होने के बाद, उन्होंने  केरल के पारम्परिक घरों की तरह ही अपने लिए एक सुन्दर घर बनाने का सोचा, जो आधुनिक भी हो और पर्यावरण के अनुकूल भी। 

इसी दौरान, वह कई ईको-फ्रेंडली घरों को देखते और उनकी बनावट को समझने की कोशश करते थे।  आख़िरकार एक साल पहले उन्होंने, कोड़िकोड के ही आर्किटेक्ट यासिर की मदद से अपने लिए एक बेहतरीन घर तैयार किया है।  यासिर Earthen Sustainable Habitats नाम से एक फर्म चलाते हैं और इस तरह के पर्यावरण के अनुकूल घर बनाने के लिए जाने जाते हैं।  

mud plaster in home<br />

द बेटर इंडिया से बात करते हुए सुब्रमनिया की बेटी अंजू कहती हैं, "मेरे पिता को प्रकृति से बेहद लगाव है इसलिए वह अपने लिए एक ऐसा घर चाहते थे, जहां रहकर उन्हें प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस हो और  वह पौधे भी उगा सकें।"

अंजू, दुबई में रहती हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान वह अपने माता-पता के घर में ही थीं। इसलिए उन्हें भी इस घर में रहने का अच्छा अनुभव हो पाया।  

किस तरह तैयार हुआ यह घर ?

सुब्रमनिया और गीता चाहते थे कि घर में प्राकृतिक ठंडक रहे। इसलिए यासिर ने  इस घर को बनाने में हवा और रोशनी पर पूरा ध्यान दिया। तक़रीबन 1000 स्क्वायर फ़ीट में बने इस घर के बीच एक आंगन भी बना है, जिससे क्रॉस वेंटिलेशन में काफी मदद मिलती है।  

लेकिन जो बात इस घर को सबसे अलग बनाती है,  वह है इस घर की अंदरूनी और बाहरी दीवारों पर लगा मिट्टी का प्लास्टर। हालांकि ईंटों को जोड़ने के लिए उन्होंने सीमेंट का इस्तेमाल किया है। लेकिन इसके ऊपर सीमेंट का प्लास्टर लगाने के बजाय मिट्टी का प्लास्टर लगाया गया है, जिसे उन्होंने चूना, मिट्टी और भूसी को मिलाकर तैयार किया है।  

अंजू कहती हैं, "इस घर में रहने से हमें गांव के पारम्परिक घरों में रहने का अनुभव मिलता है। सिर्फ मिट्टी के प्लास्टर से ही घर का तापमान बाहर और आस-पास के दूसरे घरों के मुकाबले काफी ठंडा रहता है। हमें हमेशा से एसी में रहने की आदत थी, इसके बावजूद यहां इतनी ठंडक रहती है कि कृत्रिम ठंडक की जरूरत महसूस ही नहीं होती।"

वहीं, दूसरी ओर यासिर कहते हैं कि मिट्टी के प्लास्टर के कारण सीमेंट का उपयोग काफी कम किया गया है।  सामान्य घर की तुलना में यह घर काफी कम कीमत में बनकर तैयार हुआ है। हमें इसे बनाने में करीब 35 लाख का खर्च आया है। 

घर की फर्श सामान्य मार्बल की ही रखी गई है, जबकि छत को ढलान वाली बनाया गया है, जिसपे मिट्टी की टाइल लगी है। ढलान के कारण छत पर गिरतने वाला बारिश का पानी नीचे की ओर गिरता है।

eco-friendly architecture

सस्टेनेबल लिविंग के लिए करते हैं कई प्रयास 

प्रकृति और हरियाली के शौक़ीन सुब्रमनिया और गीता ने यहां घर के चारों और कई फलों के पेड़ और कुछ मौसमी सब्जियां भी लगाई हैं। हालांकि अभी इस किचन गार्डन से ज्यादा सब्जियां नहीं मिलतीं, लेंकिन हरियाली काफी अच्छी हो गई है। उनके घर से  बारिश का पानी बाहर बहने के बजाय जमीन के जल स्तर को बढ़ाने का काम करता है। उन्होंने अपने घर के बीच आंगन में एक गड्ढा बनाया है, जिससे पानी सीधा नीचे जमीन में जाता है।  इस तकनीक के कारण आस-पास का जल स्तर काफी अच्छा हो गया है। 

इसके अलावा, यह परिवार गर्म पानी के लिए सोलर वॉटर हीटर का उपयोग करता है, जिससे बिजली के बिल में थोड़ी और बचत हो जाती है।  

अंजू ने बताया कि भले ही उनका घर पूरी तरह से मिट्टी का नहीं बना। लेकिन बाहर से दिखने में और अंदर से ठंडक में मिट्टी के घर जैसा ही है। आस-पास के कई लोग उनके घर को देखने आते हैं और इसकी बनावट की तारीफ जरूर करते हैं। 

संपादन-अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें: शहर छोड़ रहने लगे गांव में, बेटी को पढ़ाने सादगी का पाठ

Related Articles
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe