राजस्थान के जयपुर के रहने वाले अनिल थडानी ने ‘कृषि’ विषय में अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की है, जिसके बाद उन्होंने विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर, एक साल तक काम किया और फिर नौकरी छोड़कर अपनी नर्सरी, ‘पौधशालम‘ की शुरुआत की और हाइड्रोपोनिक फार्मिंग सिखाने के साथ-साथ, किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) पर परामर्श देने का काम भी कर रहे हैं।
पढ़ाई के बाद, साल 2018 में वह अपने शहर जयपुर आ गए और यहाँ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। इसके साथ ही, वह खेती का भी काम देखने लगे। अनिल आस-पास के गांवों में किसानों से मिलते और उन्हें जैविक खेती के तरीके सिखाते थे। वह बताते हैं, “लगभग एक साल की नौकरी में ही मुझे समझ में आ गया कि मैं ज़मीनी स्तर पर काम करना चाहता हूँ।”
साल 2020 में अनिल ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने घर की छत से अपनी नर्सरी का काम शुरू किया और इस काम में उन्होंने लगभग 14,000 रुपये का निवेश किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान, जैविक तरीकों से अलग-अलग तरह की खाद, पोषक घोल, पॉटिंग मिक्स बनाना सीखा था। आज अपनी नर्सरी और किसानों के लिए वह वैज्ञानिक तरीकों से जैविक खाद और उर्वरक तैयार करते हैं।
नर्सरी के साथ, वह लोगों के घरों में अलग-अलग तरह के गार्डन, जैसे- हाइड्रोपोनिक, वर्टिकल, टेरेस गार्डन लगाने की सर्विस भी दे रहे हैं।
अनिल अब तक कई घरों में हाइड्रोपोनिक सेटअप, वर्टिकल और टेरेस गार्डन लगा चुके हैं। वह इनकी देख-रेख के लिए समय-समय पर जाते भी रहते हैं।
हाइड्रोपोनिक फार्मिंग और गार्डनिंग में करते हैं लोगों की मदद
अनिल का मानना है कि टेरेस गार्डन में हाइड्रोपोनिक सेटअप करके आप अपने परिवार के लिए बिना मिट्टी की झंझट के ऑर्गेनिक सब्जियां उगा सकते हैं। साथ ही साथ अगर आप चाहें, तो इससे एक छोटा सा बिज़नेस भी शुरू कर सकते हैं।
एक गृहिणी हो या रिटायर इंसान, छोटे से थर्माकोल के बॉक्स में प्रयोग करके इसकी शुरुआत की जा सकती है। इस तरह आप अपने परिवार के साथ-साथ, जैविक सब्जियां अपने दोस्तों और पड़ोसियों को भी खिला सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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