आज करीब 80 स्थानीय किसान राकेश महंती से जुड़ कर 50 एकड़ ज़मीन पर काम कर रहे हैं। इन किसानों को हर माह निश्चित वेतन के साथ ही लाभ का 10 प्रतिशत दिया जाता है।
इस चलते-फिरते लैब के ज़रिए सरकारी स्कूलों के बच्चे अब ईमेल अकाउंट बनाना, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना और डिजिटल कैश ट्रांजेक्शन करने जैसी ज़रूरी चीज़ें सीख रहे हैं!
बिहार के शशांक सिंह कछवाहा अपनी अच्छी ख़ासी नौकरी छोड़कर पानी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों ने पहले छोटा नारायण गाँव की दशा सुधारी थी और अब वे झारखंड के रसाबेदा गाँव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रयासरत हैं।
झारखंड में रजरप्पा के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड टाउनशिप में चपरासी के पद पर काम करने वाली 60 वर्षीय सुमित्रा देवी के विदाई समारोह में उनके सहकर्मियों और टाउनशिप के निवासियों के साथ-साथ उनके तीनों बेटे भी मौजूद थे। उनके बेटे आज जिला कलेक्टर, डॉक्टर और रेलवे इंजिनियर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।
32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!