Powered by

Latest Stories

Homeझारखंड 

झारखंड 

Jharkhand

इंजीनियर बना किसान: झारखंड में पुरखों की जमीन को बनाया किसानों की उम्मीद

आज करीब 80 स्थानीय किसान राकेश महंती से जुड़ कर 50 एकड़ ज़मीन पर काम कर रहे हैं। इन किसानों को हर माह निश्चित वेतन के साथ ही लाभ का 10 प्रतिशत दिया जाता है।

ज़रूरतमंद बच्चों का मॉल है रांची का 'महाबाज़ार,' यहाँ बच्चे खरीदते हैं अपनी मनपसंद चीजें!

By निशा डागर

इस संगठन की शुरुआत साल 2014 में दसवीं कक्षा के 4 छात्रों ने की थी और आज लगभग 70 युवा इस संगठन से जुड़े हुए हैं!

4000+ ग्रामीण बच्चों के लिए चलता-फिरता कंप्यूटर लैब, सौर ऊर्जा से चलते हैं लैपटॉप!

By निशा डागर

इस चलते-फिरते लैब के ज़रिए सरकारी स्कूलों के बच्चे अब ईमेल अकाउंट बनाना, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना और डिजिटल कैश ट्रांजेक्शन करने जैसी ज़रूरी चीज़ें सीख रहे हैं!

#हमराही: नौकरी छोड़ पहुँच गए गाँव, 'साबुन' से बना दिया सैकड़ों महिलाओं को सशक्त!!

By निशा डागर

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अनुराग और शिखा ने कॉलेज के दिनों से ही ठान लिया था कि वे आगे चलकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने के लिए काम करेंगे!

इंजीनियर की नौकरी छोड़ राजस्थान और झारखंड के गांवों में पानी की समस्या हल कर रहा है यह युवक!

बिहार के शशांक सिंह कछवाहा अपनी अच्छी ख़ासी नौकरी छोड़कर पानी व पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों ने पहले छोटा नारायण गाँव की दशा सुधारी थी और अब वे झारखंड के रसाबेदा गाँव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रयासरत हैं।

झारखंड: चपरासी का काम करते हुए भी बेटों को बनाया आईएएस, डॉक्टर और इंजिनियर!

झारखंड में रजरप्पा के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड टाउनशिप में चपरासी के पद पर काम करने वाली 60 वर्षीय सुमित्रा देवी के विदाई समारोह में उनके सहकर्मियों और टाउनशिप के निवासियों के साथ-साथ उनके तीनों बेटे भी मौजूद थे। उनके बेटे आज जिला कलेक्टर, डॉक्टर और रेलवे इंजिनियर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।

झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

झारखण्ड की नयी भोजन वितरण योजना पहुंचाएगी करीब 70000 कमज़ोर आदिवासी परिवारों तक भोजन

झारखण्ड के आदिवासी गाँवों तक हांथो हाथ खाना पहुंचाने की एक योजना लायी गयी। इसका मकसद करीब 70,000 अत्यधिक गरीब परिवारों तक राशन पहुंचाना है।

मिलिए झारखंड के एक ऐसे व्यक्ति से जिसने जुहू तट पर अब तक 50 जानें बचाई है!

बंटी राव, जुहू तट पर तैनात एक स्वयंसेवक लाइफ गार्ड है जो किसी भी आपात की स्थिति में आपकी मदद को तैयार रहता है ।