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रक्षक भी, शिक्षक भी! ड्यूटी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं पुलिस कॉन्स्टेबल विकास कुमार

बिजनौर में तैनात UP Police कॉन्सटेबल विकास कुमार घंटों ड्यूटी करने के बाद गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने पाठशाला खोली हैं। उनके इस नेक काम के लिए उन्हें डिपार्टमेंट से सम्मान भी मिल चुका है।

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Constable Vikas Kumar

पुलिस पूरी ज़िम्मेदारी से जनता की सेवा और रक्षा करती है। लेकिन UP पुलिस का एक ऐसा जवान भी है, जो पिछले कई सालों से घंटों ड्यूटी करने के बाद गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देता है। कॉन्स्टेबल विकास कुमार की इस नेक पहल को देखते हुए उन्हें डीआईजी मुरादाबाद ने सम्मानित भी किया है। 

29 साल के विकास कुमार, सहारनपुर जिले के कुरलकी खुर्द गाँव के रहने वाले हैं। वह 2016 में UP पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्त हुए। पुलिस की ट्रेनिंग के बाद, विकास कुमार की पोस्टिंग बिजनौर जिले में हुई और फिलहाल वह बिजनौर के थाना मंडावली के डायल-112 में तैनात हैं। 

विकास, साल 2014 से बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं और उन्हें यह नेक काम करते हुए लगभग 8 साल हो चुके हैं। उन्होंने यह मुहिम चलाकर ऐसे बच्चों को अपने साथ जोड़ा, जो पढ़ना तो चाहते थे, लेकिन स्कूल नहीं जा पा रहे थे। फिर उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से मुफ्त पाठशाला को आगे बढ़ाने का काम किया। 

कई जिलों में स्कूल चला रहे हैं कॉन्स्टेबल विकास कुमार

Constable Vikas Kumar running many schools across UP and Uttarakhand
कई जिलों में पाठशाला चला रहे हैं कांस्टेबल विकास कुमार

आज विकास, यूपी के सहारनपुर में 25-30, बुलंदशहर और बिजनौर में पांच-पांच पाठशालाएं चला रहे हैं। आज यूपी और उत्तराखंड में वह 38 स्कूल चला रहे हैं। 

विकास कुमार का कहना है, "शिक्षा हर किसी का प्राथमिक अधिकार है। हम बेसिक एजुकेशन के अधिकार में विश्वास करते हैं और नर्सरी से दसवीं तक के छात्रों की स्कूल के बाद, होमवर्क और कठिन कांसेप्ट को समझने में भी मदद करते हैं।" उनकी हर पाठशाला में करीब 150 बच्चे हैं, जिन्हें सात-आठ टीचर पढ़ाते हैं। ये सभी ऐसे ही लोग हैं, जो मुफ्त में गरीब बच्चों की मदद करने के लिए आगे आए हैं। यहाँ बच्चों को सारे सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं।

विकास कुमार के स्कूल से निकले कई स्टूडेंट्स आज पुलिस और रेलवे विभाग में नौकरी कर रहे हैं। 

कहाँ से मिली गरीब बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा?

एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले कॉन्स्टेबल विकास कुमार के पिता एक किसान हैं। कमज़ोर आर्थिक स्थिति के चलते उनके घरवाले उन्हें बहुत ज़्यादा नहीं पढ़ा सके। लेकिन 18 साल की उम्र से ही विकास ने अपने गांव के गरीब बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दिया था। 

आगे चलकर, कड़ी मेहनत के बाद उनका यूपी पुलिस में सलेक्शन तो हुआ, लेकिन गरीब बच्चों को पढ़ाने का उनका जुनून कायम रहा। फिर उन्होंने ड्यूटी के बाद बिजनौर शहर और आसपास के गांवों में छात्रों को मुफ्त कक्षाएं देना शुरू कर दिया।  

विकास कुमार का उद्देश्य यही है कि गरीबी किसी बच्चे के अशिक्षित रहने का कारण न बने और उनका भविष्य उज्जवल हो सके। इस नेक काम के लिए मुरादाबाद के डीआईजी शलभ माथुर ने उन्हें सम्मानित भी किया। इतना ही नहीं, विकास के साथी पुलिसकर्मियों ने भी गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने का काम शुरू कर दिया है। 

संपादनः अर्चना दुबे

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