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खुद के खर्च पर गौशाला बनाकर कर रहीं 55 घायल गोवंशों की सेवा

By प्रीति टौंक

दूध देने वाली गाय की सेवा तो सब करते हैं लेकिन 29 साल की जैसमीन मलिक खुद के खर्च पर बुढ़ी और घायल गायों और नंदी के लिए एक विशेष गौशाला चलाती हैं।

रोज़ 100 बेजुबानों का पेट भरती हैं निहारिका, किया 500 को रेस्क्यू

By प्रीति टौंक

25 साल की निहारिका राणा ने घायल जानवरों के इलाज को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है। वह हर दिन कई बेजुबानों को खाना खिलाने के साथ घायल और बीमार जानवरों को रेस्क्यू कर एक सच्चे #Animallover होने का फर्ज निभा रही हैं।

100 बेजुबानों की देखभाल के लिए इस परिवार ने बेच दिया अपना घर

By प्रीति टौंक

मुंबई की हरसिमरन वालिया और उनके पूरे परिवार ने 100 बेजुबानों के साथ रहने और उनकी देखभाल करने के लिए अपना घर तक बेच दिया।

100 रोटी सुबह और 100 रोटी शाम को बनाकर, हर दिन जानवरों का पेट भरती हैं कोटा की सोनल गुप्ता

By सुजीत स्वामी

एक दिन एक छोटे से कुत्ते की जान बचाने के बाद, कोटा की सोनल गुप्ता की जैसे ज़िंदगी ही बदल गई। उन्होंने बेज़ुबानों के दर्द को महसूस किया और लॉकडाउन में उनका सहारा बनीं। इसके बाद वह शहर में श्वानों की सेवा करने के लिए जानी जाने लगीं। आज वह ‘GSM स्क्वाड’ नाम से अपना NGO चलाती हैं और अब तक 5000 से ज़्यादा पशुओं की जान बचा चुकी हैं।

मात्र दो सालों में 200 देसी कुत्तों की बचाई जान, अब तक 65 बेज़ुबानों को ‘आसरा’ दे चुकी हैं चारु

By प्रीति टौंक

मिलिए लखनऊ की चारु खरे से, जो पेशे से एक जर्नलिस्ट हैं और साल 2020 से शहर की सड़कों पर घूमनेवाले बेज़ुबानों की सेवा करने का काम कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने ‘आसरा’ नाम की एक संस्था भी बनाई है। पढ़ें कैसे मिली उन्हें इस मुश्किल काम को करने की प्रेरणा।

21 सालों से कर रही हैं सेवा, हर महीने रु. 20,000 खर्च कर, भरती हैं सैकड़ों बेजुबानों का पेट

By प्रीति टौंक

अहमदाबाद की 45 वर्षीया झंखना शाह पिछले 21 सालों से अपने आस-पास के इलाके के सैकड़ों कुत्तों और दूसरे जानवरों के लिए काम कर रही हैं।