खुद के खर्च पर गौशाला बनाकर कर रहीं 55 घायल गोवंशों की सेवा

दूध देने वाली गाय की सेवा तो सब करते हैं लेकिन 29 साल की जैसमीन मलिक खुद के खर्च पर बुढ़ी और घायल गायों और नंदी के लिए एक विशेष गौशाला चलाती हैं।

Jasmine malik

सड़क पर लाचार और घायल अवस्था में रहने वाले गौवंश आपको हर शहर में दिख जाते हैं। अक्सर ये नंदी होते हैं या वे बूढ़ी गायें होती हैं जो दूध नहीं दे सकती। इन बेसहारा गौवंशों को ज्यादातर समय भूख या फिर सड़क दुर्घटना का सामान करना पड़ता है। ऐसी ही 55 जरूरतमंद बेजुबानों के लिए एक गौशाला बनाई है, मुजफ्फरनगर की जैसमीन मलिक ने।  

आज वह अपने लाखों रुपये खर्च करके इन बेजुबानों की देखभाल कर रही हैं। लेकिन इसके पहले उन्हें एक कुत्ता पालने का भी अनुभव नहीं था और न ही कभी उन्होंने सपने में सोचा था कि एक दिन वह ऐसा कुछ काम करेंगी।  

मगर आज 'शिव के नंदियों का घर' नाम से आज उनकी गौशाला पूरे शहर में मशहूर हो चुकी है। और यह सबकुछ मुमकिन हुआ उनके जीवन में हुई एक घटना के बाद। 

एक घटना ने बदल दी जिंदगी

Jasmine malik

दरअसल, तीन साल पहले उनके घर के बहार एक नाले में एक छोटा सा नंदी गिर गया था। जिसे जैसमीन के अपने पिता की मदद से बचाया। जब उन्हें पता चला कि यह नंदी है और दूध नहीं दे सकता इसलिए किसी ने इसे रोड़ पर बेसहारा छोड़ दिया है। तब उन्हें बड़ा दुःख हुआ और यहीं से उन्होंने फैसला किया कि वह ऐसे और बेसहारा जानवरों के लिए जरूर कुछ करेंगी।  

धीरे-धीरे वह आस-पास के इलाके से और ऐसे नंदियों को लाकर सेवा करने लगी। इसी दौरान उन्होंने देखा कि कई बूढ़ी गायें भी घायल हालत में रहने को मजबूर हैं, तब जैसमीन ने किराये पर जगह लेकर एक गौशाला बनाने का फैसला किया। 

पेशे से अकाउंटेंट जैसमीन अपनी खुद की सैलरी और पिता की मदद से यह निस्वार्थ काम कर रही हैं। हालांकि उन्हें शहर के कुछ नेक दिल लोगों की मदद मिल रही है लेकिन यह मदद काफी नहीं। 

आप भी मदद का हाथ बढ़ाकर बन सकते हैं इन बेजुबानों की आवाज। आप उन्हें सोशल मीडिया के जरिए संपर्क कर सकते हैं। 

यह भी देखेंः इनका घर है 85 बेजुबानों का आशियाना, रोज 300 जानवरों का भरती हैं पेट

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