भारत में स्टार्टअप्स का दौर है, जिनका मकसद है लाखों-करोड़ों का मुनाफ़ा कमाना। ऐसे में लोगों की सेवा करने के अनोखे आईडिया पर बेस्ड कंपनी खोलना किसी रिस्क से कम नहीं। फिर भी दिल्ली के 'लास्ट जर्नी' नाम के स्टार्टअप ने अपनी पहचान बनाई है। ख़ास बात यह है कि इसका मकसद, अंतिम संस्कार के समय लोगों को आसानी से सुविधाएं मुहैया कराना है।
किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाने पर, यह कंपनी परिवार के दुःख और मुश्किलों को समझते हुए किफ़ायती दाम पर और बिना देरी के पंडित से लेकर कंधा देने और अस्थि विसर्जन तक की सारी सर्विसज़ दे रही है।
कोरोना में कई लोगों के अंतिम संस्कार में की मदद
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साल 2021 में गुरुग्राम की रहने वाली स्वाति कपूर के पिता की तबियत बहुत ज़्यादा बिगड़ गई थी। डॉक्टर्स ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक की वजह से उनके पास ज़्यादा समय नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान केवल स्वाति ही वहां अपने पिता की देख-रेख के लिए मौजूद थीं, ऐसे में उन्हें आगे की फ़िक्र होने लगी। उन्होंने सोचा कि महामारी के बीच वह अकेले अंतिम संस्कार के सारे इंतज़ाम कैसे कर पाएंगी।
वह बताती हैं, "मैंने ऑनलाइन समाधान ढूंढने की कोशिश की, तो लास्ट जर्नी के बारे में पता चला। उनके रीव्यूज़ और वेबसाइट को देखने के बाद पता चला कि वे अच्छा काम कर रहे हैं, फिर मैंने उन्हें संपर्क किया।"
काफ़ी कम समय में ही लास्ट जर्नी ने स्वाति के साथ मिलकर अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था की और 11 मई को उनके पिता की मृत्यु के बाद, 23 मई तक सारे अंतिम कार्य और पूजा-पाठ संपन्न कराए।
कैसे आया अंतिम संस्कार की चीज़ें लोगों तक पहुंचाने का आईडिया?
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द बेटर इंडिया से बात करते हुए लास्ट जर्नी के CEO और को-फाउंडर ऋषभ जालान कहते हैं, "हम टेक-इनेबल्ड, एंड-टू-एंड डेथकेयर और फ्यूनरल सर्विस प्रोवाइडर हैं। हम शव के लिए एम्बुलेंस से लेकर शमशान घाट, पूजा-पाठ और धार्मिक तरीक़े से हर विधि-विधान को पूरा करते हैं, ताकि मृतक के परिवार को मुश्किल समय में किसी तरह के इंतज़ाम की परेशानी न उठानी पड़े। इसके अलावा हम सरकार द्वारा प्रमाणित डॉक्टर के ज़रिए बॉडी को प्रिज़र्व करने के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट का भी ध्यान रखते हैं, ताकि दूर रह रहे परिवार के सदस्य भी अंतिम दर्शन में शामिल हो सकें।"
फरवरी 2019 में परिवार के एक क़रीबी के निधन के बाद ऋषभ ने देखा कि उनके अंकल को सारी व्यवस्थाएं करने में कितनी मुश्किलें आईं। तभी उनके दिमाग में अंतिम संस्कार के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन बनाने का आईडिया आया। ऋषभ कहते हैं कि वह ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपने स्टार्टअप को पहुंचाना चाहते हैं, ताकि लोग इन सेवाओं का फ़ायदा उठा सकें।
कई शहरों में हज़ारों परिवारों का बने सहारा
लास्ट जर्नी के सर्विस पैकेजेज़ लगभग 20,000 रुपये से शुरू होते हैं और ग्राहकों की अलग-अलग ज़रूरतों के हिसाब से हर पैकेज की कीमत अलग-अलग है। ऋषभ बताते हैं कि फिलहाल वह पहले फंडिंग राउंड के लिए कुछ निवेशकों के संपर्क में हैं। अगर यह सफल रहा, तो उनका स्टार्टअप और भी ज़्यादा हाईटेक, एडवांस और सक्षम बन सकेगा।
वह आगे बताते हैं कि पिछले साल तक लास्ट जर्नी के ज़रिए वह बेंगलुरु में 6 से 7 हज़ार, दिल्ली में लगभग 8 हज़ार, मुंबई व हैदराबाद में कम से कम 4-4 हज़ार और चेन्नई, इंदौर, देहरादून, पुणे, ऋषिकेश, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे शहरों में क़रीबन 7 से 8 हज़ार परिवारों की सेवा कर चुके हैं।
उनका यही मकसद है कि किसी के निधन के बाद उनके परिवार को अंतिम संस्कार के इंतज़ाम में उलझने के बजाय एक-दूसरे के साथ समय बिताने और शोक मनाने का वक्त मिले। क्योंकि ऐसी दुःख की घड़ी में एक परिवार के लिए हम इससे ज़्यादा और क्या ही कर सकते हैं!
संपादन- अर्चना दुबे
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