"साल 2008 में जब कैंसर के चलते मैंने अपनी पत्नी को खो दिया, तो मुझे लगा कि मैं अपने लेवल पर लोगों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए जो कर सकता हूँ, ज़रूर करूँगा।"
उनके घरवालों ने उन्हें रोका और पड़ोसियों ने मजाक बनाया, फिर भी इस 28 वर्षीय इंजीनियर ने जैविक खेती में अपना हाथ आज़माने के लिए अपने ही परिवार से ज़मीन लीज पर ली। उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है!
सिर्फ़ 21 साल की उम्र में सरपंच बनकर अपने गाँव की ज़िम्मेदारी लेने वाले पंथदीप को उनके विकास मॉडल और कामों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा भी राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा जा चुका हैं!