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जैसे ही हम अपने आसपास कोई परेशानी देखते हैं चाहे वह कचरे की हो, प्लास्टिक की हो या फिर बढ़ते प्रदूषण की। हम इस स्थिति के लिए सबसे पहले प्रशासन और सरकार को दोष देने लगते हैं। लेकिन आज हमारे देश में ऐसे बहुत से युवा हैं, जो समस्या पर नहीं बल्कि उनके समाधान पर बात कर रहे हैं।
तमिलनाडु के विरुधुनगर के एक गाँव में रहने वाले 21 वर्षीय टेनिथ आदित्य इन युवाओं में से एक हैं। कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करने वाला यह युवा समस्याएं हल करने में विश्वास रखता है।
आदित्य ने अब तक 19 इनोवेशन किए हैं और उनके नाम 17 अंतरराष्ट्रीय, 10 राष्ट्रीय और 10 राज्य-स्तरीय सम्मान हैं। एक आविष्कारक, एक प्रोफेशनल कॉइन कलेक्टर, एक सॉफ्टवेयर डेवलपर, एक शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में अपनी पहचान बना चुके आदित्य हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं। उनका उद्देश्य अपने ज्ञान और अपनी प्रतिभा को देश के हित में लगाना है।
आदित्य के अविष्कारों का सफ़र 8 साल की उम्र में शुरू हुआ। वह बताते हैं कि उन्हें बचपन में अपने खिलौनों को खोलकर देखने की और उनकी तकनीक समझने की बहुत जिज्ञासा होती थी। उनकी इसी जिज्ञासा से उनकी दिलचस्पी विज्ञान में हुई और बहुत ही कम उम्र से ही उन्होंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया। हमेशा से ही वह अपने बाकी साथियों और सहपाठियों से एकदम अलग रहे। उनका ज़्यादातर वक़्त अपनी लैब में बीतता था।
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"मैंने अपने घर को ही अपनी लैब बना लिया था। अलग-अलग किताबें पढ़ता और कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करता। इस वजह से अक्सर मुझे अपने कुछ शिक्षकों और अन्य लोगों से बातें सुननी पड़तीं थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि मैं अपनी पढ़ाई का वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ। लेकिन मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया," उन्होंने बताया।
एक बार लैब में एक्सपेरिमेंट करते हुए उन्होंने कोई हानिकारक केमिकल सूंघ लिया और उनकी तबियत बिगड़ गई। उनके माता-पिता ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया और जब उन्हें होश आया तो उन्होंने कहा 'विज्ञान बलिदान मांगती है।' आदित्य की इस बात ने उनके माता-पिता को परेशान कर दिया और उन्होंने उन्हें केमिकल्स से दूर रहने की हिदायत दी।
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इसके बाद, उन्होंने विज्ञान के दूसरे क्षेत्र जैसे एनर्जी, बायोलॉजी आदि पर ध्यान दिया। आदित्य को अपने एक्सपेरिमेंट्स के लिए जो चाहिए होता, वो चीज वह खुद बना लेते। वह कहते हैं कि उन्हें काम करते हुए अक्सर बहुत से डिवाइस को चलाने के लिए कई सारे प्लग पॉइंट्स चाहिए होते थे। लेकिन कई सारे एक्सटेंशन बोर्ड इस्तेमाल करने का मतलब था बहुत सी वायर्स, जिन्हें हैंडल करना मुश्किल था। इसलिए उन्होंने अपनी ज़रूरत के मुताबिक एडजस्टेबल इलेक्ट्रिसिटी एक्सटेंशन बनाया। इसे 3 मीटर की दूरी तक आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
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आदित्य के सभी इनोवेशन अलग-अलग क्षेत्रों में रहे हैं। उन्होंने पहले एनर्जी को समझकर एक्सटेंशन बनाया और उसके बाद, उन्होंने बायोलॉजी विषय पर पढ़ना शुरू किया। वह बताते हैं,
"मैंने जब बायोलॉजी पर फोकस किया तो मुझे एक बात समझ में आई कि हर एक ऑर्गनिक मैटर डीकम्पोज होता है, क्योंकि हर एक ऑर्गनिक मैटर की सेल (कोशिका) होती हैं और इनकी उम्र बढ़ती रहती है। इसी कॉन्सेप्ट से मैंने एक सेल टेक्नोलॉजी पर काम किया जिससे कि हम सेल की बढ़ती उम्र कुछ वक़्त के लिए रोक सकते हैं।"
आदित्य ने अपनी इस सेल टेक्नोलॉजी को केले के पत्तों पर एक्सपेरिमेंट करके 'बनाना लीफ टेक्नोलॉजी' तैयार की। इससे केले के पत्ते की ज़िंदगी बढ़ गई। वैसे तो पेड़ से टूटने के बाद पत्ते मात्र तीन दिन में ही सूख जाते हैं, लेकिन अगर उन्हें आदित्य की तकनीक से प्रिज़र्व किया जाए तो ये पत्ते तीन साल तक सही-सलामत रहेंगे।
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इन पत्तों को कप-कटोरी जैसे प्रोडक्ट्स बनाने के बाद एक केमिकल- फ्री और इको- फ्रेंडली बायोमटेरियल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इन प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के बाद यह जैविक तरीकों से डीकंपोज़ भी हो जाएंगे और इससे हमारा पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा।
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"इस तकनीक से मैंने पत्ते का लाइफ स्पैन बढ़ा दिया और साथ ही, इनकी सहनशीलता, लचीलापन जैसे अन्य गुणों को भी बढ़ाया है। बनाना लीफ टेक्नोलॉजी से प्रिज़र्व किए गए पत्ते कोई भी तापमान झेल सकते हैं और साथ ही, इनकी भार उठाने की क्षमता भी बढ़ जाती है," उन्होंने आगे कहा।
आदित्य का यह इनोवेशन सिंगल यूज प्लास्टिक और पेपर का बेहतरीन विकल्प है। प्रिज़र्व करके रखे गए इन केले के पत्तों से रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाले 30 तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इन प्रोडक्ट्स में प्लेट, गिलास, स्ट्रॉ, कटोरी, टम्बलर, पैकिंग बॉक्स आदि शामिल हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस टेक्नोलॉजी को सिर्फ केले के पत्ते पर ही नहीं बल्कि अन्य पेड़ों के पत्तों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
"हमारे यहां केले के पत्ते आसानी से मिल जाते हैं और यह ऐसा रॉ मटेरियल है जो आपको कम लागत में बहुत ज़्यादा मात्रा में मिल जाएगा। इस वजह से हमने केले के पत्ते पर तकनीक का इस्तेमाल करके बायोमटेरियल बनाया। अन्य जगहों पर जो पेड़ काफी मात्रा में मिल सकते हैं, वहां पर उसके पत्तों पर इस तकनीक का इस्तेमाल करके बायोमटेरियल बना सकते हैं। इनसे बने प्रोडक्ट्स एकदम इको-फ्रेंडली और कम लागत वाले हैं, जो आज की ज़रूरत भी है," उन्होंने बताया।
आदित्य सिर्फ 10-11 साल के थे जब उन्होंने यह इनोवेशन किया। उन्हें इस इनोवेशन के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर सम्मान और पहचान मिली है।
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इसके अलावा, आदित्य आज 35 कंप्यूटर एप्लीकेशन और 9 कंप्यूटर लैंग्वेजेज के मास्टर हैं। उन्होंने 13 साल की उम्र में सबसे लम्बा चलने वाला कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया, जिसका नाम है पॉवर माइंड और यह 570 साल तक चल सकता है। उनके नाम पर एक गिनीज़ बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है।
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अब आदित्य सिर्फ एक आविष्कारक नहीं हैं बल्कि उद्यमी भी हैं। उन्होंने अपने कई स्टार्टअप शुरू किए हैं, जिनमें टेनिथ इनोवेशन्स, अलट्रू सोशल नेटवर्क, लेट्स इनोवेट युथ मूवमेंट, और अलट्रू इनोवेशन सेंटर शामिल है। इंटरनेशनल फेडरेशन साइंस के प्रेसिडेंट होने के साथ-साथ आदित्य 5 इंटरनेशनल जूरी के सदस्य भी हैं।
अपने स्टार्टअप्स के बारे में बताते हुए, उन्होंने सबसे पहले 'लेट्स इनोवेट युथ मूवमेंट' का जिक्र किया।
"साल 2009 में मैंने इसे एक अभियान की तरह शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पहले देश में और अब विश्व स्तर पर बच्चों को विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। मैं चाहता हूँ कि बच्चे अपनी कल्पनाओं को सच्चाई में बदलें और इसमें हम उनकी मदद करें," आदित्य ने कहा।
उन्होंने भारत के ग्रामीण हिस्सों के स्कूलों में वर्कशॉप और माइंड स्ट्रॉमिंग सेशन किए ताकि बच्चों को तकनीक के बारे में समझने की प्रेरणा मिले। उनका यह अभियान शुरुआत के पहले साल से ही काफी सफल रहा। आदित्य बताते हैं कि यह प्रोग्राम अब तक 30 देशों में 90 हज़ार बच्चों तक पहुंचा है और इसके ज़रिए 23 इनोवेशन निकलकर आएं हैं।
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आदित्य ने एक ग्लोबल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, अलट्रू सोशल नेटवर्क भी बनाया है। उनके मुताबिक, यह एक ग्लोबल ट्रैक फ्री सोशल नेटवर्क और एक सर्च इंजन है, जहां आपको वेरीफाइड जानकारी मिलेगी। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
अंत में आदित्य सिर्फ इतना ही कहते हैं कि वह जो भी इनोवेशन करते हैं, उसके पीछे उनकी सोच यही होती है कि कैसे यह इनोवेशन लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल हो सकता है। इसलिए वह हर एक समस्या का समाधान खोजने की कोशिश में जुटे रहते हैं। उनकी 'बनाना लीफ टेक्नोलॉजी' पूरी दुनिया में फैले प्लास्टिक और पेपर की समस्या को हल कर सकती है, बस ज़रूरत है तो इसे बड़े स्तर अपनाने की।
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टेनिथ आदित्य के काम के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं और यदि आप उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो [email protected] पर ईमेल करें!
संपादन - अर्चना गुप्ता