सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का 16 प्रतिशत से अधिक खाद्य उत्पाद हर साल बर्बाद हो जाता है। यही रिपोर्ट बताती है कि अपर्याप्त भंडारण सुविधाएं, महंगा परिवहन इस बर्बादी के मुख्य कारण हैं।
ख़राब होती फसलों से न तो किसानों को अपनी मेहनत का सही मूल्य मिल पाता है, न ही आम आदमी तक अच्छी गुणवत्ता वाली फल-सब्जियां पहुंच रही हैं।
देश की इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए इंदौर के मैकेनिकल इंजीनियर, वरुण रहेजा ने एक कमाल का पोर्टेबल और किफायती सोलर ड्रायर तैयार किया है। उनका यह आविष्कार आज कई छोटे किसानों के लिए वरदान बन गया है।
सस्ता और पोर्टेबल सोलर ड्रायर

दरअसल, वरुण हमेशा से प्रकृति प्रेमी रहे हैं और अपनी माँ के साथ मिलकर घर पर कम्पोस्टिंग और गार्डनिंग जैसी एक्टिविटी करते रहते थे। लेकिन अपने एक इंटर्नशिप प्रोग्राम के दौरान, उन्हें किसानों की बर्बाद होती फसलों और इससे जुड़ें समाधानों के बारे में पता चला। वरुण ने देखा कि सोलर ड्रायर एक प्राकृतिक और आसान तरीका है, फसलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का। बावजूद इसके ज्यादातर किसान इसे इस्तेमाल नहीं कर रहे थे, क्योंकि बाजार में मिलने वाले सोलर ड्रायर साइज में काफी बड़े और दाम में महंगे थे।
इसलिए वरुण ने घर पर ही एक पोर्टेबल सोलर ड्रायर डिज़ाइन करने का फैसला किया। घर पर बनाए अपने सोलर ड्रायर के सफल प्रयोग के बाद वह जल्द ही इसे किसानों तक भी पहुँचाना चाहते थे। इसलिए महज 22 साल की उम्र में उन्होंने आस-पास के किसानों में इसे लोकप्रिय बनाना शुरू किया।
किसानों से मिले फीडबैक से ही उन्हें खुद की कंपनी खोलने की भी प्रेरणा मिली और इस तरह शुरू हुआ Raheja Solar Food Processing.
लाखों की कीमत वाले मशीन के मुकाबले ,उन्होंने महज 15 हजार में इस सोलर ड्रायर को बेचना शुरू किया, ताकि देश का हर छोटा किसान इसका फायदा उठा सके। आज करीब 3500 छोटे किसानों ने वरुण रहेजा के बनाए पोर्टेबल सोलर ड्रायर का फायदा उठाकर, अपनी बर्बाद होती फसलों को दुगुनी कमाई का जरिया बनाया है।
अगर आप भी एक छोटे किसान हैं जो महंगे प्रोसेसिंग यूनिट में निवेश नहीं कर सकते, तो आप Raheja Solar Food Processing की वेबसाइट से इस कमाल के आविष्कार की जानकारी ले सकते हैं।
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