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पिछले 3 सालों से स्वच्छता की दृष्टि से देशभर में नंबर एक पर रहने वाले इंदौर शहर के 3 युवा दोस्तों ने प्रदूषण को मिटाने की ठानी है। इन दोस्तों ने दुनिया का पहला बिना फिल्टर वाला आउटडोर एयर प्यूरीफायर बनाया है। इस प्रोडक्ट को बाज़ार में उतारने के लिए उन्होंने ‛नोवोर्बिस आईटिस प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया है।
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‛द बेटर इंडिया’ से बात करते हुए नोवोर्बिस के रिसर्च एंड डिवेलपमेंट हेड हर्ष निखरा बताते हैं, “ये प्रोजेक्ट हम तीनों दोस्तों का मिला जुला प्रयास है। गगन त्रिपाठी, टेक्निकल एंड मैन्युफैक्चरिंग हेड हैं और दिव्यांक गुप्ता मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट हेड हैं। हम तीनों दोस्त एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च, इंदौर में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर के छात्र हैं। हमने दुनिया को कुछ नया देने के इरादे से इस प्यूरीफायर को इनोवेट किया।”
पढ़ाई के दौरान ही इन दोस्तों के मन में ये विचार आते थे कि देश के लिए कुछ ऐसा करें जिससे लोगों को मदद मिले और ये कुछ ऐसा हो जो बाकी दुनिया का ध्यान खींच सके। उन्होंने पहली शुरुआत एनर्जी सेक्टर में की। उन्होंने विंड टर्बाइन पर काम किया लेकिन बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट करने की स्थिति में न होने के कारण ज्यादा सफलता हाथ नहीं लगी।
दिल्ली में स्मोग की घटना ने झकझोरा
एग्ज़ाम की तैयारी के दौरान जब यह तीनों दोस्त आपस में नोट्स शेयर करते हुए बातें कर रहे थे, तब अचानक यमुना एक्सप्रेस हाईवे का एक वीडियो मैसेज उनके पास आया, जिसमें धुंध और प्रदूषण की वजह से एक के बाद एक 13 गाड़ियां आपस में टकरा गईं थीं। लोगों को गाड़ियों से बाहर आने का मौका भी नहीं मिल रहा था। उस घटना ने इन तीनों को झकझोर दिया और उन्होंने मन बनाया कि क्यों न इसी विषय पर काम किया जाए।
9 महीने रहे किराए के कमरे में
उन्होंने एयर प्यूरीफायर बनाने का सोचा और इस पर रिसर्च में जुट गए। पढ़ाई के बाद मिले समय को अपने रिसर्च में एडजस्ट न कर पाने की वजह से दुखी होकर इन दोस्तों ने साल 2018 की शुरुआत में एक छोटा सा कमरा 9 महीनों के लिए किराये पर लिया। कॉलेज के बाद वे सीधे यहीं जुटते और अपनी कल्पनाओं को उड़ान देते थे।
उन्होंने अपना पहला एयर प्यूरीफायर यहीं रहते हुए बनाया जो पूरी तरह से जीरो वेस्ट से बना था। रिसर्च एंड डेवलपमेंट(R&D) और टेक्नोलॉजी पर काम करने के बाद अब वे दिसंबर, 2019 में बाज़ार में उतरे। अब तक कुल 80 हज़ार रुपए के एयर प्यूरीफायर बिक चुके हैं। उनके उत्पाद 16,000 से लेकर 2 लाख तक की रेंज में उपलब्ध हैं। 16,000 रुपए वाला प्यूरीफायर किसी बैंक्वेट हॉल आदि में इस्तेमाल के लिए और 2 लाख रुपए वाला चौराहों पर हवा को शुद्ध करने के लिए बनाया गया है। कीमत काम और जगह पर निर्भर करती है।
कर रहे हैं 5 प्रोडक्ट पर काम
इन दिनों ये युवा अपने स्टार्टअप के जरिए इंडस्ट्रीज, कॉरपोरेट ऑफिस, समारोह और ऐसी जगहें जहां भीड़ जुटती हो, वहां इस्तेमाल करने के लिए शुद्ध हवा के उपकरण बना रहे हैं। ये टीम अभी आउटडोर प्यूरीफायर सहित 5 प्रोडक्ट के वेरिएंट पर काम कर रही है। ये लोग रेंटल सिस्टम पर पोर्टेबल एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम के लिए भी काम कर रहे हैं। यह सिस्टम दिल्ली के प्रगति मैदान में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में काम आ सकता है। अमूमन हर शहर में कई आयोजन होते हैं जहां इनको इस्तेमाल करते हुए प्रदूषण को कम किया जा सकता है। फिलहाल ये प्यूरीफायर इंदौर के एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट और प्रेस्टिज कॉलेज में लगे हैं।
बनाई खुद की टेक्नोलॉजी
नोवोर्बिस ने खुद की टेक्नोलॉजी इजाद की है। इसे ये युवा ‛इलेक्ट्रॉ फोटोनिक स्टिमुलस डिटॉक्सीफिकेशन’ टेक्नोलॉजी कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो यह विज़िबल लाइट्स, इलेक्ट्रिसिटी और नैनो मैटेरियल का मिश्रण है। इसके जरिए प्रदूषण के जितने भी पार्टिकल्स हैं, उसे कैप्चर किया जाता है। साथ ही, जितनी गैसेस हैं, उसे भी खत्म किया जाता है। इस तकनीक द्वारा हवा में कुछ ऐसी चीज़ें भेजी जाती है जो हवा में जाकर हवा को और शुद्ध करती है, ताकि हवा की रेंज और बढ़ पाए।
ट्रैफिक सिग्नल के धुंए को बदलेगा साफ हवा में
यदि किसी व्यस्ततम चौराहे पर हो रहे प्रदूषण को शुद्ध हवा में बदलना है तो इस उपकरण (प्यूरीफायर) के मल्टीपल यूनिट्स को चौराहे पर लगा दिया जाएगा। इसे आवश्यक्तानुसार सेंटर में या फिर कतार में लगाया जा सकता है। ट्रैफिक सक़्वेयर पर सिग्नल के इंतजार में सैंकड़ों लोग अपनी गाड़ियों के साथ खड़े होते हैं, ऐसे में जो धुआं निकलता है वो लोगों तक नहीं जाएगा, उसे इस प्यूरीफायर के जरिए शुद्ध करके फिर से वातावरण में छोड़ दिया जाएगा।
प्रदूषण फैलाने वाले डीजल जनरेटर से मिलेगी मुक्ति
डीजल जनरेटर के एक प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए गगन कहते हैं, “इससे काफी मात्रा में काला धुँआ निकलता है और ये कई शहरों में बैन है। शादी-ब्याह के अलावा भी इसे कई और जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है। डीजल जनरेटर की वजह से शहर में प्रदूषण 30-40% तक बढ़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए हमने एक डिवाइस बनाया है जो इससे निकले काले धुँए को सोख लेगा। वातावरण से जो कण डिवाइस के जरिए पकड़े जाते हैं, उसे भी बाद में काली स्याही के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। निब पेन, मार्कर, प्रिंटर इंक या आयल पेंट्स में भी इनका प्रयोग किया जा सकता है। प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों को यदि किसी अच्छे काम में उपयोग किया जाए तो इससे बेहतर बात और क्या हो सकती है।”
मेंटर समीर शर्मा निभाते हैं गुरु का दायित्व
स्टार्टअप मैन के नाम से मशहूर इंदौर के समीर शर्मा फ्री में स्टूडेंट्स और इनोवेटर्स को स्टार्टअप करने में मदद करते हैं। नोवोर्बिस स्टार्टअप भी उनकी ही देखरेख में सफलता को छू रहा है। दिव्यांक कहते हैं,
"समीर सर हमें इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि किस जगह, कैसे काम करना है। एक गुरु का दायित्व बनता है कि वह शिष्यों को ज़रा सा भी इधर उधर न होने दे, इस मामले में वे पूरी तरह खरे उतरते हैं। प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन भी वही तय करते हैं। वे स्टूडेंट्स को उद्यमी बनने का सपना दिखाते हैं और प्रोजेक्ट सेल करने से लेकर बिज़नेस करना तक सिखाते हैं।"
मिले हैं कई बड़े अवार्ड्स
ये तीनों दोस्त कई बड़े सम्मान भी जीत चुके हैं। इन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश के टॉप 5 इनोवेटर्स की लिस्ट में शामिल होकर पुरस्कार जीता है। मंत्रालय ने साउथ कोरिया जाने के लिए भी इन्हें चुना, जहां यह ‛ग्लोबल इनोवेटर फेस्टा’ में चयनित हुए। नोवोर्बिस की ओर से हर्ष ने सहभागिता की जहां उन्हें स्टार्टअप इको सिस्टम में सहभागिता का अवसर मिला।
इतना ही नहीं, यूएनडीपी और नीति आयोग द्वारा आयोजित ‛नेशनल इनोवेशन चैलेंज’ में पहला पुरस्कार भी इन्हें मिल चुका है। इसके तहत इन युवाओं के पास मलेशिया जाकर देश का प्रतिनिधित्व कर पाने का मौका है। इसके अलावा इन्होंने इंदौर की एसोचैम स्टार्टअप लॉन्चपैड श्रृंखला भी जीती है। इन्हें 'EO- Global Student Entrepreneur Award' जीतने का सम्मान भी हासिल है। लेकिन, शुद्ध हवा का तोहफा देने निकले ये युवा दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण को लेकर दुखी हैं। हर्ष कहते हैं,
"दिल्ली में ये स्तर इतना बढ़ गया है कि ज़िंदगी जीने की अवधि को 5 से 7 साल तक कम कर सकता है। भारत के 12 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित 20 शहरों में शामिल हैं, ये कोई खुशी की बात नहीं है। चीन के भी बहुत से शहर पहले इस लिस्ट में थे, पर वहां अब सुधार हुआ है। हमारे यहां अभी भी प्रदूषण निपटारे के लिए काम होना बाकी है, लेकिन धीरे धीरे लोगों को बात समझ आ रही है।"
क्या आपको पता है कि हम जिस वातावरण में जी रहे हैं वहां हम 17 सिगरेट के बराबर का धुआं सांस लेने के साथ ही अंदर ले रहे हैं। भारत में प्रदूषण की वजह से मरने वाले लोगों की मेहनत को मानव संसाधन में इस्तेमाल किया जाता तो देश को कितना लाभ होता। दिल्ली के छोटे बच्चों के फेफड़े इतने खराब हो चुके हैं कि वे आसानी से अस्थमा जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। वहां प्रदूषण के जितने भी पार्टिकल हैं, उनको डब्ल्यूएचओ ने क्लास 1 की श्रेणी में रखा है, अर्थात इसके आसपास रहने से कैंसर होने का खतरा है।
इन सब कारणों को देखते हुए ये तीनों दोस्त कहते हैं कि, उनका एक सपना है कि हर एक शहर वायु प्रदूषण से मुक्त हो। शुद्ध हवा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और नोवोर्बीस उसके लिए प्रतिबद्ध है।
यदि आप भी इनसे जुड़ना चाहते हैं तो फेसबुक और वेबसाइट पर संपर्क कर सकते हैं। आप चाहें तो मोबाइल नंबर से भी जुड़ सकते हैं: हर्ष निखरा - 08458922896, गगन त्रिपाठी - 08827527561, दिव्यांक गुप्ता - 07974278581