अहमदाबाद पुलिस को गर्मी से राहत दिलाएगा, 23 साल के छात्र का बनाया हुआ यह सोलर छाता!

"इस कठिन दौर में हम सभी की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी अपने परिवार से दूर रहते हैं, वे लगातार काम कर रहे हैं। तपती गर्मी में वे सड़क पर हैं, यह जानलेवा भी हो सकता है। हमारे शहर में पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। लॉकडाउन ने सभी को एकजुट किया है और सब एक-दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। एक इंजीनियरिंग छात्र के रूप में, यह मेरा योगदान है।”

अहमदाबाद पुलिस को गर्मी से राहत दिलाएगा, 23 साल के छात्र का बनाया हुआ यह सोलर छाता!

हमदाबाद में गर्मी ने अपना प्रंचड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। लोग गर्मी से परेशान हो रहे हैं। हालांकि, इस लॉकडाउन के दौरान, आम जनता अपने घर पर पंखे या एसी की ठंडी हवा में आराम कर रहे हैं। दिन में जब भी उन्हें घर से बाहर निकलना पड़ता है तब वे छाते का इस्तेमाल करते हैं।

ये गर्म हवा, चेक पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन रही है, जो लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए सड़क पर मुश्तैद रहते हैं।

अहमदाबाद में इस साल गर्मी के साथ कोविड-19 का भी कहर है। शहर में कोरोना पोजेटिव की संख्या अधिक है, इसलिए पुलिस बल को मुस्तैदी के साथ ड्यूटी पर तैनात रहना पड़ता है। इन सभी को लगातार काम करना पड़ रह है।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले 23 वर्षीय अदीब मंसूरी ने इस चिलचिलाती गर्मी में जब अपने क्षेत्र में पुलिसकर्मियों को गश्त लगाते देखा तो महसूस किया कि इसके लिए उन्हें कुछ करना चाहिए। 

अपने कौशल और ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए, अदीब ने दो छतरियां डिजाइन की जो न केवल छाया प्रदान करते हैं, बल्कि ठंडी हवा भी देती है।

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इस छाते में पंखा लगाया गया है और साथ ही चार्जिंग सॉकेट और 20 वॉट तक की क्षमता वाला सोलर पैनल भी है। छाते में बैटरी बैकअप भी है जिसका उपयोग रात में किया जा सकता है।

अदीब ने द बेटर इंडिया को बताया, " इस कठिन दौर में हम सभी की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी अपने परिवार से दूर रहते हैं, वे लगातार काम कर रहे हैं। तपती गर्मी में वे सड़क पर हैं, यह जानलेवा भी हो सकता है। हमारे शहर में पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। लॉकडाउन ने सभी को एकजुट किया है और सब एक-दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। एक इंजीनियरिंग छात्र के रूप में, यह मेरा योगदान है।”

अदीब  ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पुलिसकर्मियों के लिए मुफ्त में दो छतरियां दी है। एक छतरी की कीमत 3,000 रुपये है। इस छतरी को लेकर पुलिस की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही है।

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अदीब एल.जे. इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। वह कहते हैं, " पुलिसकर्मियों को छतरियां पसंद आई। पंखे और चार्जिंग प्वाइंट उनके लिए काफी उपयोगी हैं। जब भी कोई गाड़ी या व्यक्ति वहां से गुजरता है, उन्हें खड़ा होना पड़ता है लेकिन बीच में वे छाते से आने वाली हवा का आनंद ले सकते हैं। उन्होंने मुझे पांच ऐसी छतरियां बनाने का ऑर्डर दिया है। इस काम के लिए कुछ सामान खरीदने पड़ते हैं। इसके लिए कॉलेज आर्थिक मदद कर रहा है।"

अदीब के मन में ऐसी छतरी बनाने का ख्याल जनवरी में सूरज की रोशनी से चलने वाले टेबल फैन को देखने के बाद आया था। उन्होंने तुरंत अपने कॉलेज के इनक्यूबेटर सेंटर में दाखिला लिया और कॉलेज के सुरक्षा गार्ड के लिए एक प्रोटोटाइप छतरी पर काम करना शुरू कर दिया।

वह बताते हैं, “मार्च और जून के बीच शहर में गर्मी सबसे ज़्यादा होती है। सड़क किनारे सब्ज़ी, जूस या नारियल बेचने वालों को देखकर मन दुखी हो जाता है। बचपन में जब यह सब देखता था तो लगता था कि गर्मी को सहने की इनमें क्षमता है लेकिन अब यह समझ में आया कि अपनी जरूरतों के लिए ये सब तपती गर्मी में काम करते हैं।”

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कॉलेज की तरफ से आर्थिक मदद और प्रोफेसर के मार्गदर्शन की वजह से अदीब ने कॉलेज के सुरक्षा गार्ड के लिए छतरी तैयार किया और सफल परीक्षण भी किया।

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अब शहर की पुलिस द्वारा प्रोत्साहन और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, अदीब को उम्मीद है कि वह इसे व्यावसायिक रूप से बना सकेंगे और अपने प्रोडक्ट को लॉन्च कर सकेंगे।

मूल लेख: गोपी करेलिया


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