घर की रसोई से एक करोड़ सालाना कमाई तक, पढ़िए पाटिल काकी की दिलचस्प कहानी

Maharashtrian Food Business Patil Kaki by Geeta Patil

गीता पाटिल ने ‘पाटिल काकी’ नाम से एक बिजनेस शुरू किया है, जहां शुद्ध महाराष्ट्रियन व्यंजन बनाए और बेचे जाते हैं। गीता को मुंबई और पुणे से हर महीने हजारों ऑर्डर मिलते हैं। इस बिजनेस से उनकी सालाना कमाई करीब 1 करोड़ रुपये है।

मुंबई के विनीत पाटिल के पास अपने स्कूल की कुछ अलग तरह की यादें हैं। स्कूल में विनीत की पहचान उनके टिफिन बॉक्स से थी और इसका सारा श्रेय जाता है, Maharashtrian Food Business चला रहीं उनकी मां, गीता पाटिल को। विनीत बताते हैं कि उनके टिफिन का डब्बा एक ऐसी चीज़ थी, जो उनके दोस्तों और क्लास के सारे बच्चों का ध्यान खींच लेती थी।

स्कूल के समय को याद करते हुए विनीत कहते हैं कि स्कूल में आमतौर पर टिफिन बॉक्स में बच्चे रोटी सब्जी लाते थे। लेकिन उनकी आई (मां) हमेशा डब्बे में कुछ नया आइटम पैक करती थीं और वह विशेष ध्यान रखती थीं कि खाने में हर तरह की सब्जियां शामिल हों।

कभी पराठे के अंदर सब्जियां भरी जाती थीं, तो कभी आंटे में सब्जियां डालकर गुंथा जाता था। फर्क केवल यह था कि पराठे का आकार अलग होता था। विनीत की आई पराठे को समोसे जैसा आकार देती थीं। विनीत बताते हैं कि वह बड़ी आसानी और चटकारे लेकर पूरी सब्जियां खत्म कर देते थे। अक्सर विनीत के डब्बा खोलते ही उनके दोस्त खाने पर टूट पड़ते थे।

विनीत की मां, गीता को लजीज़ खाने बनाने का शौक़ विरासत में उनकी मां, कमलाबाई निवुगले से मिला था। कमालाबाई टिफिन का अपना छोटा सा बिज़नेस चलाती थीं, जहां वह करीब 20 लोगों के लिए खाना पैक किया करती थीं। गीता बताती हैं कि खाना बनाने और पैक करने में वह अक्सर अपनी मां का हाथ बंटाया करती थीं।

माँ से मिली सीख बनी Maharashtrian Food Business का आधार

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताती हैं, “मुझे याद है, मैं अक्सर स्टोव के पास स्टूल पर बैठती थी और सारी सामग्री मिलाया करती थी। मैं आई की छोटी हेल्पर थी और मुझे इस काम में बड़ा मज़ा भी आता था।” 

गीता के लिए उस समय सीखी गई चीजें आगे चलकर, अपना बिजनेस शुरू करने का महत्वपूर्ण आधार साबित हुईं। साल 2016 में, उन्होंने अपने घर से एक छोटा बिज़नेस शुरू किया, जहां वह पारंपरिक महाराष्ट्रीयन स्नैक्स और मिठाइयाँ, जैसे कि मोदक, पूरनपोली, चकली, पोहा और चिवड़ा बनाकर बेचती थीं। इसे शुरू करने के लिए काफी कम निवेश की ज़रूरत पड़ी।

गीता के हाथों का स्वाद लोगों को काफी पसंद आया और धीरे-धीरे हर महीने उनके ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई। आज यह बिज़नेस 3,000 से ज्यादा ग्राहकों को सेवा दे रहा है और सालाना 1 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व कमा रहा है। 

खाना, जिसने घर चलाने में की मदद

Patil Kaki snack station.
Patil Kaki snack station.

गीता का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ। बाद में शादी भी इसी शहर में हुई, इसलिए वह इस जगह से अच्छी तरह से परिचित थीं। गीता बताती हैं, “मुंबई में मेरे लिए केवल एक ही बदलाव हुआ और वह था विले पार्ले से सांताक्रूज़ आना। मेरे पिता ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के साथ काम किया और मेरी मां होम शेफ थीं।”

गीता बताती हैं कि लोगों को खिलाने की प्रेरणा उन्हें अपनी आई से मिली। वह कहती हैं, “मेरी आई बड़े आराम और सहजता से रसोई में काम करती थीं और सुबह-सुबह ही कई सारी थाली तैयार कर देती थीं। मुझे उन्हें देखना बहुत पसंद था।”

जल्द ही अपने दोस्तों और परिचितों में गीता अपनी पाक कला के कारण पहचानी जाने लगीं। वह बताती हैं कि उनके इलाके में  विभिन्न धर्मों के लोग साथ रहते हैं। अक्सर, उनके मुस्लिम और कैथोलिक दोस्त Maharashtrian Food, जैसे- चकली या पूरनपोली के लिए ऑर्डर देते थे। गीता बिना कुछ चार्ज किए उनके लिए ये डिशेज़ बनाती थीं।

कुछ समय तक यह सिलसिला चलता रहा। लेकिन 2016 में गीता के पति गोविंद की डेंटल लैबोरेटरी में क्लर्क की नौकरी चली गई। गीता कहती हैं कि घर चलाना था, बच्चों को पढ़ाना था, लेकिन नौकरी नहीं थी। इस घटना ने उन्हें पहली बार घर चलाने और परिवार का समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।

जब मिला पहला ऑर्डर

Geeta Patil with all the other Kaki’s
Geeta Patil with all the other Kaki’s

गीता बताती हैं, “दर्शन और विनीत स्कूल में थे और उनका खर्चा बढ़ता ही जा रहा था। मेरे पास पहले से ही क्लाइंट बेस था। मुझे अपने खाना पकाने के कौशल पर पूरा भरोसा था और अपने पति के समर्थन से, अपनी घर की रसोई से छोटी शुरुआत की।”

हालांकि, गीता अक्सर अपने रिश्तेदारों के लिए ये स्नैक्स बनाया करती थीं, लेकिन वह कहती हैं, जब पहला ऑर्डर मिला तो उस समय वह काफी नर्वस थीं। गीता कहती हैं, “2016 तक, मैं यह काम खाना बनाने के प्रति अपने जुनून के कारण करती थी। लेकिन अब यह एक बिजनेस और हमारे घर चलाने का एक साधन बन चुका था। मैं इसे अब हल्के में नहीं ले सकती थी। पहला ऑर्डर खार में रहने वाले एक परिवार से आया था। सबसे अच्छी बात यह है कि आज भी हमें उनसे नियमित रूप से ऑर्डर मिलते हैं।”

2016 से 2020 तक, बिना किसी औपचारिक ब्रांडिंग के, घर की रसोई से ही गीता का Maharashtrian Food Business चल रहा था। इसकी शुरुआत धीमी थी, लेकिन गीता को भरोसा था कि यह अच्छा चलेगा। बिजनेस शुरू करने के शुरुआती वर्षों में, वह प्रभात कॉलोनी में बीएमसी के कर्मचारियों को चाय और नाश्ता सप्लाई करती थीं। वह कहती हैं कि वह उसी ऊर्जा से काम करना चाहती थीं, जैसे उनकी आई किया करती थीं। गीता कहती हैं, “हर सुबह शुरू होने से पहले, मैं उन्हें याद करती थी।”

Maharashtrian Food Business ‘पाटिल काकी’ बना ब्रांड

Geeta Patil, aka Patil Kaki
Geeta Patil, aka Patil Kaki

हालांकि गीता इस बारे में निश्चित नहीं हैं कि 2016 से 2020 तक बिजनेस से कितना पैसा कमा रही थीं, लेकिन उनका कहना है कि पूरा घर चलाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे होते थे।वह कहती हैं, “हो सकता है कि हमने महीने में एक लाख कमाया हो लेकिन मैं निश्चित रूप से यह नहीं कह सकती।”

विनीत कहते हैं कि उन्होंने अपनी माँ को कड़ी मेहनत करते हुए देखा है। यह समझते हुए कि ब्रांडिंग और मार्केटिंग कैसे काम करती है, वह इस बिजनेस को और आगे बढ़ाने में अपनी आई की मदद करना चाहते थे। वह बताते हैं, “सबसे पहले  हम पाटिल काकी नाम लेकर आए और सोशल मीडिया का लाभ उठाना शुरु किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बिजनेस के बारे में जानकारी हो।”

विनीत ने सालाना रेवेन्यू 12,000 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.4 करोड़ रुपये तक लाने का काम किया। वह कहते हैं, “हमने सांताक्रूज में 1,200 वर्ग फुट जगह ली है, जहां से हम काम करते हैं। हमारे पास 25 अन्य महिलाएं भी हैं, जो वर्कशॉप में हमारे साथ काम करती हैं। आई और धनश्री काकी के नेतृत्व में  ‘पाटिल काकी’ अब बहुत अच्छा काम कर रहा है। वास्तव में संतोषजनक बात यह है कि हम अपने साथ काम करने के लिए इतनी सारी महिलाओं को रोज़गार देने में सक्षम हैं। हमारे वर्कफोर्स में लगभग 70 प्रतिशत ऐसी महिलाएं हैं, जो पहली बार काम कर रही हैं।”

गीता कहती हैं, इससे कई ऐसी महिलाओं को भी मदद मिली है, जिनके पतियों की नौकरी महामारी के समय छिन गई थी।

दूसरे शहरों में भी जल्द होगी इसकी शुरुआत

अनुराधा जौहरी, कुछ समय से पाटिल काकी से Maharashtrian Food Item मंगवा रही हैं। वह कहती हैं, “स्वाद और गुणवत्ता दोनों में ही यह बढ़िया है। पाटिल काकी की सबसे अच्छी चीज़ है उनकी सर्विस। उनकी टीम ज़बरदस्त है, जो आपके हर सवाल का फौरन जवाब देते हैं और समस्याएँ मिनटों में हल हो जाती हैं। समय पर डिलीवरी भी एक ऐसी चीज़ है, जो उन्हें और खास बनाती है।”

मोदक, पूरनपोली और चकली सबसे ज्यादा बिकने वाले व्यंजन हैं, जबकि बेसन के लड्डू और चिवड़ा की भी लगातार मांग है। औसतन, लगभग 10,000 पूरनपोली और 500 किलोग्राम से अधिक चकली मुंबई और पुणे में महीने-दर-महीने बनाई और भेजी जाती है।

गीता का कहना है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बिज़नेस यहां तक पहुंच पाएगा। वह कहती हैं, “इस बिज़नेस की सफलता मुझे कई बार बेहद खुशी देता है। मैं अपने दम पर कभी नहीं जान पाती कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुद को कैसे बाजार में लाया जाए। इन सबके पीछे विनीत का हाथ है।”

हर महीने 3,000 से अधिक ऑर्डर भेजे जाने के साथ, ब्रांड जल्द ही अन्य शहरों में भी अपनी सेवा का विस्तार करने की योजना बना रहा है।

अगर आप पाटिल काकी से संपर्क करना चाहते हैं और ऑर्डर देना चाहते हैं, तो यहां क्लिक करें।

मूल लेखः विद्या राजा

संपादनः अर्चना दुबे

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