जानें कई बिज़नेस में असफलताओं के बाद, एक मेकैनिक को मधुमक्खी पालन में कैसे मिली सफलता

Organic Honey business

केरल के तिरुवनंतपुरम के रहने वाले बेंसिसलस पिछले 10 सालों से अपने ब्रांड 'अम्मा हनी' के तहत, मधुमक्खी पालन और ऑर्गेनिक शहद बेच रहे हैं।

तिरुवनंतपुरम के वट्टियूरकावु में रहनेवाले बेंसिसलस, तीन दशक पहले तक एक इलेक्ट्रॉनिक मेकैनिक थे। तब उन्होंने दूर-दूर तक कभी नहीं सोचा था कि वह किसी दिन मधुमक्खी पालन करेंगे और ऑर्गेनिक हनी बिज़नेस शुरू कर उसमें सफलता पाएंगे। हालांकि, बेंसिसलस टेलीविजन सेट और रेडियो की मरम्मत करने में माहिर थे, लेकिन आंखों में आई परेशानी के कारण, उन्हें यह काम छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बेंसिसलस कहते हैं, “मैंने 25 साल की उम्र में मेकैनिक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन कुछ सालों बाद मैंने महसूस किया कि मेरी आंखों की रोशनी कम हो गई है, जिससे मेरे काम पर असर पड़ने लगा है। ऐसे में मेरे पास नौकरी छोड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं था।”

इलेक्ट्रॉनिक मेकैनिक का काम बंद करने के बाद, बेंसिसलस ने खेती में हाथ आज़माने का फैसला किया। उन्होंने रबर की खेती से शुरुआत की और धीरे-धीरे से पशुपालन के साथ प्रयोग किए जैसे खरगोश, सजावटी मछली, चिकन और अंत में, मधुमक्खी पालन। उनका कहना है कि मधुमक्खी पालन ही एकमात्र ऐसा बिजनेस था, जिसमें उन्हें सफलता मिली।

मजबूरी में शुरू किया था ऑर्गेनिक हनी बिज़नेस

अब 2022 में, बेंसिसलस फुलटाइम मधुमक्खी पालन करते हैं। उन्होंने ‘अम्मा हनी’ के नाम से अपना ब्रांड शुरू किया है और इसके माध्यम से सालाना करीब 1200 किलोग्राम शहद का उत्पादन करने में सक्षम हैं। बेंसिसलस की अब लाखों में कमाई हो रही है।

वह कहते हैं कि मेकैनिक की नौकरी छोड़ने के बाद, उन्हें एक स्थिर आय स्रोत की ज़रूरत थी। इसके लिए उन्होंने तिरुवनंतपुरम के कल्लिक्कड में एक रबर प्लांटेशन खरीदने का सोचा और अपनी ज़मीन बेचने का फैसला किया।

उन्होंने बताया, “मैंने अपनी सारी बचत का उपयोग कर तीन एकड़ का रबड़ का बागान खरीदा और कुछ सालों के लिए यह लाभदायक साबित हुआ। बाद में एक समय रबर की कीमत में भारी गिरावट आई और फिर मेरी परेशानियां बढ़ गईं। मेरे पास आय या बचत का कोई अन्य साधन नहीं बचा था। ऐसे में आय के लिए दूसरे विकल्प तलाशना मेरी ज़रूरत और मजबूरी दोनों थी।”

तभी उन्होंने सुना कि कुडप्पनकुन्नू में लाइवस्टॉक मैनेजमेंट ट्रेनिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने सेंटर पर मुफ्त दी जाने वाली ट्रेनिंग में भाग लेने और पशुपालन में हाथ आजमाने का फैसला किया।

बार-बार हुए नाकामयाब, फिर भी नहीं मानी हार

बेंसिसलस याद करते हुए बताते हैं, “मैंने सेंटर से खरगोश, मछली, बकरी, मुर्गियां आदि पालना सीखा और हर क्षेत्र में कोशिश करना शुरू कर दिया। लेकिन मेरी कोई भी कोशिश सफल नहीं हुई। मुझे एक के बाद एक नुकसान का सामना करना पड़ा। अंत में, मैंने मधुमक्खी पालन के बारे में सुना और उसके साथ प्रयोग करने का फैसला किया।”

2010 में, बेंसिसलस ने मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग ली और कल्लिक्कड में अपने रबर प्लांटेशन में पहले पांच बॉक्स स्थापित कर ऑर्गेनिक हनी बिज़नेस की ओर पहला कदम बढ़ाया।

हालांकि, उन्होंने मधुमक्खी पालन के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण लिया था, लेकिन फिर उन्हें महसूस हुआ कि इसमें सफलता पाने के लिए यह काफी नहीं है। वह बताते हैं कि शुरुआत में, अनुभव की कमी होने कारण उन्हें मधुमक्खियों से भरे बक्से का नुकसान हुआ।

लेकिन उन्होनें हिम्मत नहीं हारी, फिर से कोशिश करने और नए बक्से रखने के लिए दृढ़ रहे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्होंने बिज़नेस के और गुण सीखे और अंततः इसमें महारत हासिल की।

बेंसिसलस कहते हैं कि जब मधुमक्खी पालन की बात आती है, तो बहुत सी चीज़ों का ध्यान रखने की ज़रूरत होती है। इस काम में अब उन्होंने महारत हासिल कर ली है और विभिन्न स्थानों पर रखे गए 180 से अधिक मधुमक्खी के छत्ते के बक्से के मालिक हैं।

मोरिंग शहद तैयार करते हैं बेंसिसलस

Bensislas with his products.
Bensislas with his products.

बेंसिसलस बताते हैं, “मधुमक्खी पालन करते समय बक्से की गुणवत्ता से लेकर इसे रखे जाने वाली जगह तक, बहुत सारी बारीकियाँ हैं, जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत होती है।” वह कहते हैं कि उन्होंने यह महारत कई वर्षों में हासिल की है। शुरुआत में कुछ मुश्किलें आती हैं। शुरुआती दिनों की बात याद करते हुए वह बताते हैं कि एक बार मधुमक्खी ने उनके चेहरे पर डंक मार दिया था।

वह हंसते हुए बताते हैं, “मैं अपने सूजे हुए चेहरे के कारण दो दिनों तक घर से बाहर तक नहीं निकल सका। लेकिन अब मेरे लिए ये सब आसान है, क्योंकि मुझे उनके व्यवहार की अच्छी समझ हो गई है।” 

बेंसिसलस वर्तमान में अपने तीन एकड़ के रबड़ के बागान के साथ-साथ, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक मोरिंगा फार्म पर ये बक्से रखते हैं।

वह आगे बताते हैं, “मधुमक्खियों द्वारा उत्पादित शहद की गुणवत्ता, मधुमक्खियों की प्रजातियों के साथ-साथ उस स्रोत पर निर्भर करती है, जहां से वे रस इकट्ठा करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास अलग-अलग तरह की मधुमक्खियां हैं, जिनमें से वह वर्तमान में भारतीय और बिना डंक वाली मधुमक्खियों को पालते हैं।

मोरिंगा ऑर्गेनिक हनी क्या है?

बेंसिसलस कहते हैं, “जहां भी हम बॉक्स रखते हैं, मधुमक्खियां अपने आस-पास के वातावरण से रस निकालने की कोशिश करती हैं। इसलिए यह देखना ज़रूरी है कि हम बक्सों को कहाँ रखते हैं। मैं अपने बक्सों को अपने रबड़ के बागान में और साथ ही एक मोरिंगा फार्म में पत्ती बनने और फूलने के मौसम के अनुसार रखता हूँ।”

उनका कहना है कि रबड़ में रस का स्रोत नए कोमल पत्ते हैं और मोरिंगा के लिए स्रोत फूल हैं। मोरिंगा शहद एक ऐसी चीज़ है, जिसमें बेंसिसलस माहिर हैं। यह एक अनोखे तरह का शहद है, जिसे मधुमक्खियां, फूलों के मौसम के दौरान मोरिंगा के फूलों के रस से बनाती हैं।

मोरिंगा शहद गाढ़ा, गहरे रंग का होता है और इसमें एक अनोखा लकड़ी का स्वाद होता है। इसके अलावा, इसमें मोरिंगा पौधे की सभी अच्छाइयां और पोषण संबंधी लाभ होते हैं।

मोरिंगा के पत्ते विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, अमीनो एसिड, प्रोटीन आदि जैसे कई पोषक तत्वों से भरे होते हैं। इसके अलावा, ये मजबूत एंटी-इंफ्लेमेट्री गुणों के साथ एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं।

बेंसिसलस कहते हैं, “मोरिंगा शहद सामान्य शहद की तुलना में अधिक फायदेमंद होता है।” वह तिरुनेलवेली में एक मोरिंगा फार्म के साथ कोलाबोरेट भी कर रहे हैं, जहां वह हर मौसम में मालिकों को कुछ पैसे देकर अपने बक्से लगाते हैं।

इस बारे में विस्तार से बात करते हुए वह कहते हैं, “मोरिंगा के फूलों का मौसम आमतौर पर जुलाई से दिसंबर के महीनों के दौरान होता है। इसलिए, मोरिंगा शहद उत्पादन के बाद, मैं फरवरी से अप्रैल के आसपास अपने रबड़ के बागान में बक्से रखता हूं, जो पत्ती बनने का मौसम होता है।” उन्होंने बताया कि उन्हें हर बॉक्स से लगभग 11 से 12 किलो शहद मिलता है।

क्या है ऑर्गेनिक हनी बिज़नेस की मार्केटिंग स्ट्रैटजी?

रबर शहद और मोरिंगा शहद के अलावा, बेंसिसलस अपने घर के आस-पास और कुछ रिश्तेदारों के घरों में कुछ बक्से रखते हैं, जहां वह बिना डंक वाले मधुमक्खी के शहद का उत्पादन करते हैं। रबर शहद 330 रुपये प्रति किलो और मोरिंगा शहद 750 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचने वाले बेंसिसलस कहते हैं, “सालाना, मुझे लगभग 1,500 किलो (1.5 टन) शहद मिलता है।”

तिरुवनंतपुरम के डॉ. टीवी जॉर्ज, अम्मा हनी के नियमित ग्राहक रहे हैं। उनका कहना है कि शहद की गुणवत्ता बेहतरीन है, क्योंकि इसका उत्पादन ऑर्गेनिक तरीके से किया जाता है।

वह बताते हैं, “मैं कई सालों से चीनी के बजाय, शहद का इस्तेमाल कर रहा हूं, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प है। मैं पिछले कुछ वर्षों से बेंसिसलस से शहद खरीद रहा हूं और इसकी गुणवत्ता हमेशा एक जैसी रही है। मैं आमतौर पर इसे थोक में खरीदता हूं और यह एक राहत की बात है, क्योंकि आमतौर पर बाज़ार में बिना मिलावट वाला शहद मिलना मुश्किल होता है।”

अम्मा हनी कुछ वैल्यू एडेड प्रोडक्ट भी बेचते हैं, जैसे हनी गार्लिक, हनी बर्ड्स आई चिली, हनी डेट्स, बीज़वैक्स आदि।

बेंसिसलस कहते हैं, “मुझे शहद के लिए कभी मार्केटिंग नहीं करनी पड़ी, क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है और लोग आमतौर पर इसे सीधे मेरे घर से खरीदते हैं। मैं बिक्री से लगभग 15,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति माह कमाता हूं।”

संपादनः अर्चना दुबे

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