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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

गाँधीजी का वह डाइट प्लान जिसे सुभाष चंद्र बोस ने भी अपनाया!

बापू ने अपने जीवन की तरह अपने आहार को भी सरल रखा। कहा भी गया है, "आप वही बनते हैं जो आप खाते हैं!" गाँधीजी को देखें तो यह कथनी सिद्ध होती दिखाई पड़ती है।

15 की उम्र में शादी, 18 में विधवा : कहानी भारत की पहली महिला इंजीनियर की!

जब उनके पति की मृत्यु हुई तब उनकी बेटी सिर्फ 4 माह की थी, अपनी बेटी को वह रिश्तेदार के यहाँ छोड़कर काम पर जाया करती थीं।

आज़ादी से अब तक के हर चुनाव के रोचक किस्‍सों की बानगी दिखाता, देश का पहला 'इलेक्‍शन म्‍युजि़यम'

By अलका कौशिक

यह इलेक्‍शन म्‍युजि़यम राजधानी दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट इलाके में 1890 में बनी उस इमारत में खोला गया है जिसमें 1940 तक सेंट स्‍टीफंस कॉलेज चलता रहा था।

पुरुष-वेश में क्रांतिकारियों तक हथियार पहुँचाती थी यह महिला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

साल 2010 में रिलीज़ हुई आशुतोष गोवरिकर की फ़िल्म 'खेलें हम जी जान से' में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने स्वतंत्रता सेनानी कल्पना दत्त की भूमिका निभाई थी।

कादंबिनी गांगुली : जिसके संघर्ष ने खुलवाए औरतों के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज के दरवाजे!

By निशा डागर

उनकी सफलता ने बेथ्यून कॉलेज को 1883 में एफए (फर्स्ट आर्ट्स) और स्नातक पाठ्यक्रम (ग्रेजुएशन कोर्स) शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।

जिनकी याद में मनाया जाता है 'डॉक्टर्स डे' उनसे इलाज करवाने से गाँधीजी ने क्यूँ किया इंकार!

By निशा डागर

स्वतंत्रता के बाद भी डॉ. रॉय चिकित्सा के क्षेत्र से ही जुड़े रहना चाहते थे। पर गाँधी जी और नेहरु जी के कहने पर उन्होंने बंगाल में मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सँभालने का फ़ैसला किया। 

'द ग्रेट ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया' : ब्रिटिश संसद में चुनाव जीतकर लड़ी थी भारत के हित की लड़ाई!

By निशा डागर

साल 1967 में उनकी 'इकनोमिक ड्रेन थ्योरी' पब्लिश हुई, जिसके अनुसार भारत के आर्थिक राजस्व (रेवेन्यु) का एक चौथाई ब्रिटिश लोगों के पास जाता है!

फील्ड मार्शल मानेकशॉ: इस कड़क मिज़ाज आर्मी जनरल का एक अनसुना दिल छूने वाला किस्सा!

By निशा डागर

मानेकशॉ के ऐसे कई किस्से मशहूर हैं, जिनसे हमें पता चलता है कि अपने सैनिकों और अपने सेना के लिए काम करने वाले लोगों का वे बहुत सम्मान करते थे।

आबिद हसन: सुभाष चन्द्र बोस के दल का वह सेनानी जिसने दिया था धर्मनिरपेक्ष 'जय हिन्द' का नारा!

'जय हिंद' का नारा देने वाले आबिद हसन हैदराबाद के ऐसे परिवार में बड़े हुए जो उपनिवेशवाद का विरोधी था। किशोरावस्था में ही ये महात्मा गांधी के अनुयायी बन गए।