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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

मदन मोहन मालवीय: वह स्वतंत्रता सेनानी जो अकेले 172 क्रांतिकारियों को बचा लाया था।

By निशा डागर

मालवीय फिर से भारत की भूमि पर जन्म लेकर अपने जीवन को गरीबों और ज़रुरतमंदों के लिए समर्पित करना चाहते थे।

मौलाना आज़ाद : भारत की प्रगति में मील का पत्थर बनने वाले 'आईआईटी' के जनक!

आईआईटी का भविष्य देखकर उन्होंने बेंगलुरु में इंडियन इन्स्टीच्युट ऑफ साइंस और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी सकाय के विकास पर ज़ोर दिया।

देश-विदेश घूमकर किया चंदा इकट्ठा और शुरू कर दी देश की पहली महिला यूनिवर्सिटी!

By निशा डागर

साल 1916 में कर्वे ने केवल 5 छात्राओं के साथ जो एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय शुरू किया था, आज उसमें 70 हज़ार से भी ज़्यादा छात्राएं पढ़ती हैं!

परफ्यूम, तेल से लेकर साइकिल और ग्रामोफ़ोन तक, इस उद्यमी ने रखी स्वदेशी उत्पादों की नींव!

By निशा डागर

उनके सभी रिकॉर्ड्स ब्रिटिश सरकार ने तबाह कर दिए। आज सिर्फ़ टैगोर के 'वन्दे मातरम' गीत की एक छोटी-सी रिकॉर्डिंग बची है!

जब एक पाकिस्तानी नोबेल विजेता ने दिया अपने भारतीय गुरु को सम्मान!

By निशा डागर

नेटफ्लिक्स पर डॉ. अब्दुस सलाम की ज़िंदगी पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री, 'सलाम, द फर्स्ट ****** नोबेल लौरियेट' रिलीज़ हुई है। इसमें उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर रौशनी डाली गयी है!

वह भारतीय जिसने दिया 'ओयलर थ्योरी' का हल, 177 साल बाद हल हुई थी यह पहेली!

साल 1959 में भारतीय गणितज्ञ शरदचंद्र शंकर श्रीखंडे और उनके गुरु, आर. सी. बोस ने ओयलर के अनुमान को गलत सिद्ध किया!

देश की आज़ादी के लिए अमेरिका की सुकून भरी ज़िंदगी छोड़ आई थी यह स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

गुलाब ने न सिर्फ़ अपने पति बल्कि सभी तरह की सुविधाओं से भरपूर अपनी आगे की ज़िंदगी को भी छोड़ दिया और देश के लिए आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा बन गयीं।

राजकुमारी गुप्ता: काकोरी कांड में बिस्मिल और अशफ़ाक के साथ था इनका भी हाथ!

By निशा डागर

राजकुमारी की क्रांतिकारी गतिविधियों का सच काकोरी कांड के बाद खुला। शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि काकोरी कांड में सेनानियों के लिए हथियार पहुंचाने की ज़िम्मेदारी राजकुमारी ने ली थी।

'गाँधी बूढ़ी': तीन गोली खाने के बाद भी नहीं रुके थे इस 71 वर्षिया सेनानी के कदम!

By निशा डागर

अपने आख़िरी पलों में भी देश की इस महान बेटी ने झंडे को गिरने नहीं दिया और उनकी जुबां पर दो ही शब्द थे, 'वन्दे मातरम'!