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इतिहास के पन्नों से

History Pages | Motivational History | Inspirational History \ इतिहास के वे भुला दिए गए नायक, जिनकी कहानियां हर भारतवासी को ज़ुबानी याद होनी चाहिए!

अखंड भारत की रचना में थी इस गुमनाम नायक की बड़ी भूमिका!

एक दरबार से दूसरे दरबार जाना, राजाओं के सामने प्रस्ताव रखना व समझौता करवाना – यह सब सरदार पटेल के इस सहयोगी ने किया, ताकि अखंड हो सके हमारा भारत!

बेस्ट ऑफ़ 2019: इतिहास की वो अनसुनी कहानियाँ, जिन्होंने जीता हमारे पाठकों का दिल!

By द बेटर इंडिया

इस साल को अलविदा कहते हुए एक बार फिर उन अच्छी यादों को सहेज लें जो भविष्य में भी हमारी प्रेरणा रहेंगी!

सत्येंद्र नाथ बोस: वह भारतीय वैज्ञानिक जिनकी थ्योरी ने आइंस्टीन को किया था प्रभावित!

क्या आप जानते हैं कि क्वांटम मैकेनिक्स की एक नींव 'बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक्स' है।

सरफ़रोशी की तमन्ना: स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल की अनकही कहानी!

19 दिसम्बर, 1927 को फांसी पर चढ़ने से पहले बिस्मिल ने आखिरी पत्र अपनी माँ को लिखा था!

'जन गण मन': राष्ट्रगान को गीत की धुन में पिरोने वाले गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

हम जब भी राष्ट्रगान की धुन पर सावधान में खड़े होते हैं, तो हमें इसे लिखने वाले महाकवि रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही याद आती है। पर क्या आप जानते हैं कि यह धुन किसने बनायी थी?

सिर पर लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी: क्यों हुए राज कपूर रूस में मशहूर!

जब पहली बार 'आवारा' फिल्म रूस में रिलीज़ हुई तो इस फिल्म के करीब 640 लाख टिकिट बिके और सोवियत रूस में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली यह तीसरी विदेशी फिल्म बनी।

भोपाल गैस त्रासदी: 'जब्बार भाई', जो अंतिम सांस तक लड़ते रहे पीड़ितों के हक़ की लड़ाई!

By द बेटर इंडिया

इस त्रासदी में खुद अपनी माँ, भाई और पिता को खो देने वाले अब्दुल जब्बार 35 साल तक पीड़ितों के 'जब्बार भाई' बनकर उनके हक़ की लड़ाई लड़ते रहें!

सुचेता कृपलानी : भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री; संभाली थी सबसे बड़े राज्य की बागडोर!

1966 में इंदिरा गाँधी के रूप में एक महिला प्रधानमंत्री को चुनने वाला भारत पहला कार्यात्मक लोकतंत्र था। हालांकि, बहुत कम लोग ही इस तथ्य से अवगत हैं कि इसके तीन साल पहले उत्तर प्रदेश ने सुचेता कृपलानी को भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुना था।

वह महिला वैज्ञानिक, जिन्होंने महिलाओं को दिलाई फिजिक्स रिसर्च में जगह!

By निशा डागर

दूसरे विश्व युद्ध के बाद जो बचे हुए उपकरण और हथियार कबाड़ में बेचे जा रहे थे, उन्हीं में से डॉ. पूर्णिमा सिन्हा ने अपनी रिसर्च के लिए एक्स-रे उपकरण बनाया था।