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कोरोना हीरोज़: घर में बंद पड़े लोगों को राशन व दवा पहुंचाता है शिशिर जोशी का 'प्रोजेक्ट मुंबई'

"ज्यादातर लोगों के लिए, अहम सवाल यह है कि अगर वे बाहर नहीं निकलते हैं, तो खाने के लिए राशन और महत्वपूर्ण दवा कहां से आएगी? हम उनकी ये समस्या दूर करना चाहते हैं।" - शिशिर जोशी

By पूजा दास
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कोरोना हीरोज़: घर में बंद पड़े लोगों को राशन व दवा पहुंचाता है शिशिर जोशी का 'प्रोजेक्ट मुंबई'

पूरी दुनिया में पांव पसार रहे कोविड-19 महामारी ने देश भर में दहशत की स्थिति पैदा कर दी है। कोरोना वायरस से संक्रमित कई लोगों की संख्या महाराष्ट्र में दर्ज की गई है और वहां स्थिति विशेष रूप से गंभीर है।

राज्य सरकार ने लोगों से सेल्फ क्वारंटीन यानी खुद को अलग रखने और घर से ही काम करने का अनुरोध किया है। कई लोगों के लिए यह समय काफी कठिन साबित हो रहा है। विशेष रूप से संवेदनशील बुज़ुर्गों या उन लोगों के लिए जिन्हें सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेल्फ क्वारंटीन का स्टांप या चिट्ठी दी गई है, यह मुश्किल का समय है। उनकी मदद करने वाला शायद ही कोई है। कई लोगों की शिकायत है कि राशन और दवाइयां खत्म हो रहीं हैं। दूसरों को संक्रमित करने या खुद के संक्रमित होने के डर से कई लोग ये ज़रूरी चीज़े नहीं खरीद पा रहें हैं।

ऐसे मुश्किल समय में, मुंबई स्थित गैर सरकारी संगठन, प्रोजेक्ट मुंबई द्वारा शुरू की गई पहल थोड़ी राहत पहुंचाती है। प्रोजेक्ट मुंबई ने स्वयंसेवकों की एक फौज तैयार की है जो शहर के ज़रूरतमंद लोगों तक ज़रूरी राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम करेगी।

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द बेटर इंडिया (TBI) से बात करते हुए, प्रोजेक्ट मुंबई के सीईओ और संस्थापक शिशिर जोशी कहते हैं, “मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं कि इस महत्वपूर्ण समय में क्या किया जा सकता है। हालांकि नगर आयुक्त ( म्यूनिसपल कमिश्नर ) की टास्क फोर्स पहले से ही कई क्षेत्रों में काम कर रही है। मैंने महसूस किया कि नागरिक होने के नाते हमें आगे आना चाहिए। कई लोग विभिन्न देशों से शहर लौट आए हैं, उनके टेस्ट निगेटिव हैं लेकिन सुरक्षा के लिहाज़ से उन्हें सेल्फ-क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया है।

“इसके अलावा, किसी तरह की यात्रा का इतिहास ना होने का बावजूद, अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिक सबसे ज़्यादा संवेदनशील हैं। ज्यादातर लोगों के लिए, अहम सवाल यह है कि अगर वे बाहर नहीं निकलते हैं, तो खाने के लिए राशन और महत्वपूर्ण दवा कहां से आएगी? हम उनकी ये समस्या दूर करना चाहते हैं। हमारी कोशिश है कि जो लोग क्वारंटीन में हैं उन्हें ज़रूरी सामान के लिए घर से बाहर ना निकलना पड़े जिससे दूसरे लोगों के संक्रिमत होने का खतरा भी कम हो।" - शिशिर जोशी

इस पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए, जोशी ने निम्नलिखित बातों पर प्रकाश डाला:

- स्वयंसेवक डिलीवरी के लिए पैसा नहीं लेंगे, यह मुफ्त है।

- बिना सत्यापन के कोई अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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Shishir Joshi, CEO, Project Mumbai

मामलों का सत्यापन कैसे होगा?

जिन लोगों के लिए सेल्फ क्वारंटीन अनिवार्य है, उन्हें व्हाट्सएप के ज़रिए अपना स्टांप और चिट्ठी की तस्वीर भेजनी है। जब मामला सत्यापित हो जाता है, तो वे प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं। ऐसे मामलों में जहां व्यक्ति के पास नगरपालिका प्रमाण पत्र नहीं है, सबूत के तौर पर यह टीम उनसे बोर्डिंग कार्ड मांगती है। उनकी सहायता सुनिश्चित करने वाले स्वयंसेवकों को खुद की सुरक्षा के लिए मास्क दिए जाते हैं।

डिलिवरी के समय कोई शारीरिक संपर्क नहीं होता है। संपर्क से बचने के लिए, नकदी के आदान-प्रदान से बचा जाता है, इसलिए जरूरतमंद व्यक्ति को प्रोजेक्ट मुंबई को ऑनलाइन भुगतान करना पड़ता है जिसे वे बाद में खुदरा विक्रेताओं को भुगतान करते हैं।

दवाओं के लिए अनुरोध:

दवाओं की डिलिवरी, अनुरोध करने के 24-48 घंटों के बीच होती है। सोशल मीडिया पर जब इस अभियान के बारे में बताया गया, तब प्रोजेक्ट मुंबई की सहायता के लिए एक ई-फार्मा रिटेलर आगे आया। ज़रूरतमंद व्यक्ति को क्वारंटीन लेटर/स्टैम्प और पर्चे की एक तस्वीर के साथ रिक्वेस्ट जमा करना होता है। इसके बाद प्रोजेक्ट मुंबई की टीम ई-फार्मा फैसिलिटेटर के साथ संपर्क करेगी और सुनिश्चित करेगी कि दवा दिये गए पते तक पहुंचे।

“वर्तमान में हम जिस ई-फार्मा कंपनी के साथ संपर्क में हैं, उसका न केवल मुंबई में बल्कि भारत में भी एक बड़ा नेटवर्क है। तो इससे हमें भारत में कहीं भी दवाइयां उपलब्ध कराने की पहल करने में मदद मिलेगी।”

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Representational Image. Source: Shutterstock

राशन के लिए अनुरोध:

“यह देखते हुए कि जिन्हें घर के भीतर सेल्फ क्वारंटीन के लिए कहा गया है, कुछ ही दिनों में खाने-पीने के सामान और अन्य राशन के लिए बाहर निकलने लगेंगे और 14 दिनों से ज़्यादा घर के भीतर नहीं रह पाएंगे, हम उन रिटेलर्स के साथ काम कर रहे हैं जिन्होंने सीलबंद फूड पैकेट बनाने में दिलचस्पी दिखाई है। ये पैकेट दो आकार में आएंगे। एक, जो दो लोगों के लिए पर्याप्त हो और दूसरा जो चार लोगों के लिए हो। इनमें गेहूं का आटा, चावल, दाल, साबुन, टूथब्रश, टूथपेस्ट, बिस्कुट, तेल, नमक, चीनी, मसाले आदि आवश्यक चीज़ें शामिल होंगी। हमारे स्वयंसेवक उन्हें सत्यापित व्यक्तियों और संवेदनशील वरिष्ठ नागरिकों के घरों तक पहुंचाएंगे। " -  शिशिर जोशी

आप कैसे मदद कर सकते हैं?

प्रोजेक्ट मुंबई को ऐसे सैनिकों की तलाश है जो लोगों की मदद के लिए स्वयंसेवकों की फौज का हिस्सा बन सकें। यदि आप मुंबई में हैं और मदद करने की इच्छा रखते हैं तो आप शिशिर से [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं। संपर्क करते समय अपना पूरा नाम, फोन नंबर और स्थान लिखना न भूलें।

अपील करते हुए जोशी कहते हैं, '' इस तरह की पहल के लिए हम उन स्वयंसेवकों का बहुत सम्मान करते हैं जिन्होंने प्रोजेक्ट मुंबई का समर्थन किया है। हमारे अभियान के लाइव होने के 24 घंटे से भी कम समय में हमें बहुत अच्छी प्रक्रिया मिली। मैं स्वयंसेवकों से अनुरोध करता हूं कि कृपया आगे आएं और इस महत्वपूर्ण समय में मुंबई की मदद करने के लिए हमारे साथ जुड़ें। आपकी मदद से हम ज़रूरतमंदों तक जल्द से जल्द और प्रभावी रूप से पहुंच सकते हैं।”

आप [email protected] पर भी संपर्क कर सकते हैं और ज़्यादा जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट देख सकते हैं।

मूल लेख: जोविता अराहना

संपादन - अर्चना गुप्ता


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