गुजरात में अमरेली के रहने वाले 40 वर्षीय उपेंद्र भाई राठौर पिछले लगभग 15 सालों से किसानों के लिए उनकी ज़रूरत के हिसाब से औज़ार बना रहे हैं। उन्हें यह हुनर अपने पिता से विरासत में मिला। उनके पिता की एक वर्कशॉप थी और दसवीं पास करने के बाद, उन्होंने उनकी मदद करना शुरू कर दिया। मशीनों की भाषा को समझना उन्होंने अपने पिता से ही सीखा।
उपेंद्र भाई ने द बेटर इंडिया को बताया, ” शुरूआत में मुझे पापा की वर्कशॉप में कुछ न कुछ करते रहना अच्छा लगता था। फिर जब किसान आते और उन्हें अपने खेतों के लिए कोई औजार बनाने के लिए कहते तो मैं भी उनके साथ जुट जाता था। बस इस तरह से हमारी शुरुआत हुई और फिर बहुत अलग-अलग चीजें हम करने लगे।”
हालांकि, उपेंद्र भाई को अपने हुनर को सही दिशा देने का मौका हनी बी नेटवर्क के संपर्क में आने के बाद मिला। दरअसल, साल 1994 में गुजरात के ही मनसुख भाई जगानी ने बुलेटसांती का आविष्कार किया था। उन्होंने बुलेट मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करके किसानों के लिए एक छोटा-सा ट्रेक्टर बनाने का प्रयास किया था जो कि बहुत सफल हुआ।
उपेंद्र भाई ने बुलेटसांती को और थोड़ा एडवांस करके इसे सनेडो ट्रेक्टर का रूप दिया। यह एक तिपहिया ट्रेक्टर है जो किसानों के लिए काफी मददगार है, खासतौर पर छोटे किसानों के लिए। उपेंद्र भाई बताते हैं कि उनके इस ट्रेक्टर की मांग भारत के साथ-साथ अफ्रीका जैसे देशों में भी है।
“शुरू में हमने बुलेट मोटरसाइकिल का ही इस्तेमाल किया। लेकिन फिर जब इस बाइक पर कुछ दिनों के लिए रोक लग गई थी तो हमने अपने मॉडल से बुलेट को हटा दिया और दूसरे मॉडल के साथ काम किया। हमारा ट्रेक्टर आज किसानों के बीच काफी मशहूर है। अच्छी क्वालिटी के साथ-साथ यह मैनेज करने में भी आसान है,” उन्होंने कहा।
इससे आप खेत में जुताई-बुवाई जैसे काम आसानी से कर सकते हैं। साथ ही, बड़ी ब्रांड के ट्रैक्टर्स की तरह यह बहुत ज्यादा महंगा भी नहीं है। इसकी कीमत 1 लाख 37 हज़ार रुपये से 1 लाख 60 हज़ार रुपये के बीच है।

उपेंद्र भाई बताते हैं कि उन्हें इस ट्रेक्टर के लिए सृष्टि सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है। इसके साथ ही, सृष्टि ने अफ्रीका और केन्या में भी कुछ यूनिवर्सिटी और माइक्रो-एंटरप्राइज के साथ संपर्क करके, वहां के देशो में भी इसे पहुँचाया है। केन्या की एक टीम ने उपेंद्र भाई की वर्कशॉप का दौरा भी किया और उनके ट्रेक्टर को इस्तेमाल करके भी देखा। आज उनके इस तिपहिया ट्रेक्टर की मांग अफ्रीका में भी है।
“ट्रेक्टर के अलावा भी और कई छोटे-बड़े इनोवेशन हमने किए हैं ताकि किसानों की लगातार मदद होती रहे। कुछ दिन पहले, हमें एक बार फिर सृष्टि से एक मशीन पर काम करने का मौका मिला। दरअसल, उन्हें कुछ ऐसा चाहिए था जिससे कि गन्ने से आसानी से पत्ते निकाले जा सकें। इस प्रक्रिया में बहुत वक़्त लगता है और कई बार मजदूरों को चोट भी आती है। इसलिए सृष्टि की टीम चाहती थी कि हम कुछ ऐसा बनाए जो इस समस्या को हल करे,” उन्होंने आगे कहा।
गन्ने के पत्ते निकाल ने का यंत्र उपेन्द्रभाई ने बनाया है।@SRISTIORG की ऑफिस में हमने प्रयोग किया है अच्छा परिणाम मिला इस डिवाइस को प्रयोग के हेतु से सुरत भेज रहे है। उस मे कुछ सुजाव होगे तो परिवर्तन करेंगें। यह रेडी टेक्नलॉजी है। गन्ने की खेती करने वाले किसान को फ़ायदा होगा। pic.twitter.com/qTc7uJBOUW
— SRISTI (@SRISTIORG) June 30, 2020
उपेंद्र भाई ने इस पर काम करते हुए कुछ दिन पहले ही हाथ से चलने वाला एक ऐसा यंत्र बनाया जिससे कि आसानी से गन्ने के पत्तों को मिनटों में निकाला जा सकता है। इस यंत्र की कीमत मुश्किल से 500 रुपये होगी। इस बारे में सृष्टि के प्रोजेक्ट मैनेजर चेतन पटेल कहते हैं, “हमारा उद्देश्य किसान और मजदूर भाइयों की मदद करना है। ऐसे छोटे-छोटे यंत्र काफी काम को आसान बना देते हैं जिससे कि खेती को फायदेमंद और आसान बनाया जा सकता है।”
उपेंद्र भाई ने इस यंत्र को बनाने के लिए लॉकडाउन का सदुपयोग किया है। वह बताते हैं कि एक-दो असफल प्रयासों के बाद इसे तैयार किया गया। उन्होंने पास के एक गाँव में गन्ना की खेती करने वाले एक किसान के यहाँ जाकर इसका ट्रायल भी लिया। पहले यंत्र के लिए किसान का फीडबैक था कि वह भारी है। इसलिए उपेंद्र भाई ने फिर से इस पर काम किया और दूसरी बार में सही यंत्र तैयार किया। इसे फ़िलहाल सृष्टि भेजा गया है। चेतन पटेल कहते हैं कि प्रोडक्ट अभी ट्रायल में है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इसमें थोड़े-बहुत बदलाव करके उसे किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
“आज 20 सालों में मोबाइल के हजारों मॉडल बन गए हैं लेकिन खेत में हाथों से संचालित होने वाले औजारों का ज्यादा कोई विकास नहीं हुआ है। हमारा उद्देश्य लोगों का ध्यान इस तरफ करने का है ताकि कृषि क्षेत्र के लिए ज़रूरी आविष्कार हों। उपेंद्र भाई जैसे लोग इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं। उम्मीद है कि यह सिलसिला आगे इसी तरह चलता रहेगा,” चेतन पटेल ने अंत में कहा।
अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप उपेंद्र भाई राठौर से 9726518788 पर संपर्क कर सकते हैं!
यह भी पढ़ें: चीड़ पेड़ के पत्तों से बिजली उत्पादन कर महीने के लगभग 45 हज़ार रुपये कमा रहा है यह शख्स!
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: