6000 किसानों के साथी बने ये दोनों क्लासमेट, अच्छी-खासी नौकरी छोड़ चुनी गाँव की डगर!

मनीष कुमार और पूजा भारती, IIT खड़गपुर में बैचमेट थे। साल 2016 में उन्होंने साथ मिलकर 'बैक टू विलेज' की नींव रखी, जिसके ज़रिए उनका उद्देश्य किसानों का उत्थान करना है!

“मैं और पूजा, हम दोनों ही IIT खड़गपुर में एक ही बैच में थे, लेकिन खड़गपुर में रहते हुए हम दोनों में शायद ही कभी ज़्यादा बातचीत हुई हो। पूजा ने केमिकल इंजीनियरिंग में अपनी पढ़ाई की और मैंने स्टैटिस्टिक्स और इन्फॉर्मेटिक्स  (सूचना एवं सांख्यिकी) में पांच साल का इंटीग्रेटेड कोर्स किया।

ग्रैजुएशन पूरी होने के बाद पूजा की प्लेसमेंट एक अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट कंपनी में हुई। यहाँ कुछ वक़्त तक उन्होंने काम किया और फिर उनका चयन भारत सरकार की महारत्न कंपनी, गेल (GAIL) में हुआ।

पढ़ाई के बाद, मेरी नौकरी भी एक अच्छी मल्टी-नैशनल कंपनी में लगी, लेकिन मुझे अपनी ज़िंदगी में कुछ और करना था। मैंने नौकरी छोड़ दी और अपने एक दोस्त के साथ मिलकर, बिहार स्थित अपने गाँव में ही कृषि के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। हमारा उद्देश्य बहुत ही स्पष्ट था कि हमें किसानों के लिए कुछ करना है।

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लगभग 6 सालों तक मैंने बिहार में ही काम किया और हमारी संस्था एक जाना पहचाना नाम बन गई थी। अपने काम के दौरान मेरी एक दिन पूजा से बात हुई, मैंने उसे जब अपने काम के बारे में बताया तो उसने काफी दिलचस्पी ली। पूजा खुद एक किसान परिवार से हैं और इसलिए वह लगातार मेरे काम के बारे में मुझसे पूछती रहती थीं।

साल 2015 में, मुझे कुछ निजी कारणों के चलते अपनी संस्था छोड़नी पड़ी। उस समय मुझे यह तो पता था कि मुझे किसानों और गाँवों के लिए ही काम करना है लेकिन समझ में नहीं आ रहा था कि कहाँ से शुरू करूं?

Manish Kumar and Puja Bharati

ऐसे में, पूजा मेरे लिए आशा की किरण बनकर उभरीं। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें भी गाँवों के लिए कुछ करना है और इसके लिए वह अपनी जॉब छोड़ने को तैयार थीं। यहीं से हम दोनों ने तय किया कि हम लोग एक नई संस्था शुरू करेंगे जो जैविक कृषि और ग्रामीण रोज़गार को प्रोत्साहन देती हो।

पूजा ने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देने का फैसला किया और यह बहुत बड़ी बात थी। हम दोनों ही निचले मध्यम-वर्गीय (Lower Middle Class) परिवार से हैं जहां नौकरी मिलने से बड़ी कोई और ख़ुशी नहीं होती। स्वाभाविक रूप से उनके परिवार में किसी को भी यह निर्णय स्वीकार नहीं था।

लेकिन पूजा भी अपने निर्णय पर अडिग रही और आखिरकार, अगस्त 2015 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद, पूजा ने कई महीनों तक अलग-अलग राज्यों में जाकर जैविक-कृषि पर प्रशिक्षण लिया। इस दौरान मैंने पुरानी संस्था को छोड़ने की सारी औपचारिकताएँ पूरी कीं।

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हमें क्या करना है, यह निर्णय तो हम दोनों ने ले लिया था, लेकिन कहाँ करना है, इसका फैसला लेना बाकी था । बहुत सोच-विचार कर और कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते हुए हमने अपना काम ओडिशा के मयूरभंज ज़िले से शुरू किया। इसमें एक कारण यह भी था कि पूजा की शादी मयूरभंज ज़िले में ही तय हुई थी। इस वजह से हमें शुरूआती दिनों में बहुत सहयोग मिला।

आखिरकार, अप्रैल, 2016 में हमने अपने संगठन  Back to Village (B2V) की नींव रखी। जिले के रायरंगपुर में एक छोटा-सा कमरा लेकर B2V का कार्यालय बनाया।

Puja and Manish (in green kurta) with villagers

आज हमें काम करते हुए लगभग 4 साल हो गये हैं और इस दौरान हमने महसूस किया है कि अगर बात हमारे काम की हो तो, मैं और पूजा, एक-दूसरे के पूरक हैं। पूजा खेती से जुड़े सभी तरह के तकनीकी विषयों को सम्भालती हैं और हर एक काम की प्लानिंग बहुत ही अच्छे ढंग से करती हैं। वहीं, मेरा काम नए प्रोजेक्ट लाना और संगठन को आर्थिक तौर पर सुचारू ढंग से चलाए रखना है।

हमारी आपसी समझ के अलावा और भी बहुत से कारण हैं, जो हम दोनों की जुगलबंदी को और भी बेहतर बनाते हैं। सबसे बड़ा तो ये कि हम दोनों सिर्फ अपने-अपने काम तक सीमित नहीं हैं। ज़रूरत पड़ने पर हम पूरी ज़िम्मेदारी से एक-दूसरे का काम कर सकते हैं।

पूजा कभी भी किसी काम में संकोच नहीं करतीं। उन्हें अपनी यात्रा साइकिल पर करनी पड़े या फिर ट्रेन के जनरल डिब्बे में, वह बहुत सी सहजता से सब कुछ कर लेती हैं। B2V को इस स्तर तक लाने में उनके इस आत्म-विश्वास से भरे और निडर व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण योगदान है।

Back to Village is helping farmers to produce their own organic compost

साथ ही, हम दोनों बिना किसी स्वार्थ के ये काम कर रहे हैं। हमें ढ़ेरों पैसे नहीं कमाने हैं बल्कि हमारी ख़ुशी गाँवों को आगे बढ़ते हुए देखने में है। ज़िंदगी जीने के हमारे सिद्धांत मिलते जुलते हैं जैसे, जल एवं पर्यावरण की रक्षा, सभी प्राणियों की रक्षा, संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना, किसी का भी अहित नहीं करना।

हमारी यही सोच हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। हमें B2V को कोई कॉर्पोरेट नहीं बनाना है बल्कि यह हमारा परिवार है। यहाँ पर काम करने वाले सभी लोग एक ही घर के सदस्यों की तरह साथ मिलकर काम करते हैं।

शायद इसलिए हम में से कोई भी किसी भी परिस्थिति को अपने काम की राह में नहीं आने देता। साल 2018 में पूजा की शादी भी हुई, लेकिन उन्होंने कभी भी B2V के काम को प्रभावित नहीं होने दिया। सबसे अच्छी बात यह है कि पूजा के पति, हिमांशु मोहंता  जो ONGC में इंजीनियर हैं, वह भी हर कदम पर हमारा बहुत सहयोग करते हैं।

आज, हम 2 लोगों से शुरू हुए इस सफ़र का कारवां  20 सदस्यों तक पहुँच चुका है। हम गाँव- गाँव जाकर उन्नत कृषि केंद्र (UKK) बना रहे हैं और हर एक केंद्र के माध्यम से किसानों को खेती के लिए ज़रूरी सहयोग (बीज, प्रशिक्षण, कीट-रोग नियंत्रण की जानकारी, बाज़ार इत्यादि) देते हैं।

फिलहाल, हमारे 10 UKK केंद्र सक्रिय हैं जिनके माध्यम से 6000 से अधिक किसानों तक हम अपनी सेवाएँ पहुँचा रहे हैं। देश के प्रसिद्ध संस्थानों से शिक्षित लोग हमारी मैनेजमेंट टीम का हिस्सा हैं, जिनकी मदद से हम B2V में नए-नए आयाम शुरू करने में सक्षम हुए हैं। इस साल से हमने अर्बन फार्मिंग (बालकनी, छत, बगीचा आदि) पर काम शुरू किया है। बहुत ही जल्द हमारी एग्रो-टूरिज्म (कृषि-पर्यटन) शुरू करने की योजना है और इस प्रोजेक्ट के लिए हम निवेशक ढूंढ रहे हैं।”

मनीष कुमार से संपर्क करने के लिए आप 07682930645 पर कॉल कर सकते हैं!

(यह लेख हमें बैक टू विलेज के को-फाउंडर, मनीष कुमार ने भेजा है)

संपादन – अर्चना गुप्ता


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