अमरेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षक हैं। 60 एकड़ जमीन में वह केला, स्ट्रॉबेरी, मशरूम, शिमला मिर्च और तरबूज जैसे फल और सब्जियों की खेती भी करते हैं।
मखाना को सुपरफूड के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज दुनिया में कुल मखाने का 90 फीसदी उत्पादन बिहार में होता है? बिहार में मखाना खेती को लेकर एक क्रांति की शुरुआत करने वाले सत्यजीत सिंह हैं, जिन्हें ‘मखाना मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है। सत्यजीत आज बिहार में 50 फीसदी मखाना उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं और अनुमान है कि वह अगले 2-3 वर्षों में कुल मखाना उत्पादन में 70 से 75 फीसदी योगदान देने में सफल होंगे।
अपने बायोगैस प्लांट से हरियाणा के भिवानी में रहने वाले अमरजीत अपने घर के जैविक कचरे का सही मैनेजमेंट कर पा रहे हैं और साथ ही, उन्हें गैस और खाद भी मिल रही है!
केरल के अरनमुला के रहने वाले 72 वर्षीय एन.के. कृष्णन नायर अपने खेतों से हर दिन लगभग 15-20 किलो गेंदे का फूल तोड़ते हैं। इन फूलों को बेचकर वह हर महीने करीब 35,000 रुपए कमा लेते हैं।
गोपाल इन दिनों अपने आठ एकड़ के बगीचे से लाखों की कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा पाँच एकड़ में उन्होंने हल्दी और अदरक उगाया है। इसके साथ ही 7.1 फीट ऊंचा धनिया उगाकर उन्होंने गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज करवाया है।
महाराष्ट्र के बीड जिले के नंदगौल गाँव के रहने वाले संदीप गिते ने विपरीत परिस्थितियों में पपीता-तरबूज की जैविक खेती शुरू की, जिससे कि उन्होंने 7 महीने में 3 लाख की कमाई कर ली। इससे प्रेरित होकर गाँव के 50 अन्य किसानों ने भी फलों की खेती शुरू कर दी।
पिछले 12 सालों से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग करने वाले राजस्थान के अजय ने लॉकडाउन ने दौरान एलोवेरा के लड्डू भी तैयार किए हैं, जो अब हाथों-हाथ बिक रहे हैं!
कई फसलों की खेती करने के अलावा अभिषेक ने 2 वर्ष पहले टी-तार ग्रीन टी को भी बनाना शुरू किया। इसे वह तुलसी, लेमनग्रास, मोरिंगा आदि जैसे औषधीय पौधों की पत्तियों से बनाते हैं।