आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा अवैध गांजे की खेती के लिए बदनाम है। लेकिन, मूल रूप से एक एडवेंचर स्पोर्ट्स टीचर जस्टिन स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, पैशनफ्रूट और ब्लैकबेरी जैसे फलों की खेती और उससे केक, वाइन जैसे कई उत्पादों को बनाकर यहाँ विकास की एक नई इबादत गढ़ रहे हैं।
केरल के तुम्बुर के रहने वाले टॉम किरण डेविस लगभग 5 साल पहले दुबई में नौकरी छोड़कर अपने देश लौटे और अपने गाँव में खाली और बंजर पड़ी ज़मीन पर जैविक खेती शुरू की!
केरल के कोक्कवड गाँव के रहने वाले जोशी मैथ्यूज के पास 0.25 एकड़ जमीन है, जहाँ उन्होंने जैविक खेती और मछली पालन से लेकर मधुमक्खी पालन की सुविधा भी विकसित कर ली है।
हरियाणा के फराज माजरा गाँव के 32 वर्षीय किसान वीरेंद्र यादव ने न सिर्फ बेहतर पराली प्रबंधन के जरिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया, बल्कि इससे 45 लाख रुपये भी कमा डाले।
केरल के पलक्कड़ जिले में रहने वाले पी. थंकामणि और ए. नारायणन रिटायरमेंट के बाद से अपनी साढ़े सात एकड़ ज़मीन पर 50 तरह के साग-सब्ज़ियाँ और फल उगा रहे हैं!
मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले संकल्प शर्मा पुणे स्थित भारती विद्यापीठ से एमबीए करने के बाद बैंकिंग सेक्टर में नौकरी कर रहे थे। लेकिन, वह अपने नौकरी से खुश नहीं थे और साल 2015 में नौकरी छोड़, उन्होंने जीरो बजट फार्मिंग शुरू कर दी।
महाराष्ट्र ने नासिक में निफाड तालुका की रहने वाली 46 वर्षीया संगीता बोरासते अंगूर की खेती करतीं हैं और उनकी लगभग 50% उपज बाहर के देशों में एक्सपोर्ट होती है!