48 की उम्र में खुद सीखा पहाड़ चढ़ना, 50 साल की उम्र में पूरा किया पर्वतारोही बनने का सपना

jyoti ratre mountaineer

मिलिए भोपाल (मध्यप्रदेश) की 53 वर्षीया ज्योति रात्रे से, जिनके जज्बे ने उन्हें 50 की उम्र में न सिर्फ एक पर्वतारोही बनाया, बल्कि उन्होंने यूरोप की सबसे ऊँची छोटी माउंट एलब्रुस को इस उम्र में फतह करके एक रिकॉर्ड भी बनाया।

सपने पूरे करने के लिए क्या उम्र मायने रखती है? भोपाल की ज्योति रात्रे ने 52 साल की उम्र में रिकॉर्ड बनाकर पूरी दुनिया को इसका जवाब बखूबी दे दिया है। उन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एल्ब्रुस को 52 साल की उम्र में फतह करके एक रिकॉर्ड अपने नाम किया। दरअसल, ऐसा करने वाली वह भारत की सबसे ज्यादा उम्र की महिला हैं। 

50 की उम्र जब ज्यादातर लोग अपने रिटायरमेंट के बारे में सोचते हैं, तब ज्योति ने अपने सपने के बारे में सोचा और इसे पूरा करने के लिए मेहनत करना शुरू किया।  

हालांकि, इन बर्फीले पहाड़ों की चोटी तक पहुंचना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन इसके लिए उन्होंने घर की जिम्मेदारियां सँभालते हुए ट्रेनिंग की शुरुआत की और ढेरों चुनौतियों को पीछे छोड़कर आज एक सफल पर्वातारोही बनी हैं।  

द बेटर इंडिया से बात करते हुए ज्योति कहती हैं, “किसी पहाड़ की चोटी पर पहुंचने का अनुभव अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। 48 की उम्र में पहली बार एक पर्वत की चोटी पर चढ़कर ही मैंने सोच लिया था कि मुझे अब यही करना है।”

 

Mountaineer Jyoti Ratre
Mountaineer Jyoti Ratre

पर्वतारोहण का ख्याल कैसे आया?

यूं तो ज्योति को हमेशा से ही माउंट एवरेस्ट चढ़ना और इसके बारे में सोचना काफी रोमांचित करता था। लेकिन उन्होंने कभी खुद कोई पहाड़ चढ़ने के बारे में नहीं सोचा। लेकिन 48 की उम्र में उन्होंने कुछ युवाओं के साथ एक छोटी सी ट्रेकिंग में भाग लिया था। 

उस समय उन्हें पर्वत की चोटी से नज़ारा देखकर एक अलग ही अनुभव हुआ। तभी उन्होंने सोच लिया कि बचपन का सपना पूरा करने का वक़्त आ गया है। इसके बाद, उन्होंने एक पर्वतारोही की तरह दुनिया की अलग-अलग पर्वतमालााओं की चोटियों पर चढ़ाने का मन बना लिया। लेकिन यह सफर इतना भी आसान नहीं था।  

ज्योति को एक सफल पर्वतारोही बनने के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेनी थी।  नियमित ट्रेनिंग के बाद ही वह एक अच्छी पर्वतारोही बन सकती थीं। 

  

घर से ट्रेनिंग करके शुरू की ट्रेकिंग

ज्योति ने देश के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर्स में बात की, लेकिन सभी ने यह कहकर मना कर दिया कि 40 की उम्र के बाद इस तरह की ट्रेनिंग नहीं मिलती। ज्योति कहती हैं, “मुझे जब सबने ट्रेनिंग देने से मना कर दिया तब मैंने खुद ही अपना ट्रेनर बनने का फैसला किया और घर पर ही एक जैकेट बनाकर अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी। नियमित एक्सरसाइज और भोपाल में मौजूद  छोटी-छोटी ट्रेकिंग पर जाना भी मेरी ट्रेनिंग का हिस्सा था।”

वह घर पर ही अपनी जैकेट में 10 किलो वजन लेकर चलती थीं। इस काम में उनके पूरे परिवार ने भी उनका हर कदम पर साथ दिया। उनके पति  केके रात्रे, मध्‍यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी में महाप्रबंधक हैं। जबकि ज्योति हमेशा से ही एक गृहिणी रही हैं। 

Mountaineer Jyoti At Her trekking
Mountaineer Jyoti At Her trekking

एवेरस्ट की सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ने की तैयारी 

अपनी ट्रेनिंग के बाद, उन्होंने सबसे पहले साल 2020 अक्टूबर में भारत की माऊंट देव टिब्बा (6001) पर चढ़ाई पूरी की थी, जिसके बाद उनका उत्साह काफी बढ़ गया। इसके बाद वह भोपाल के एडवेंचर ग्रुप का हिस्सा बनकर,  यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एल्ब्रुस (5642 मीटर) को फतह करने निकल पड़ीं।

माउंट एल्ब्रुस एक सुप्त ज्वालामुखी है। उनका एक सपना सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फ़तह करना है और यह ट्रिप, उसी सपने को पूरा करने की तरफ बढ़ाया गया एक कदम था।  

माउंट एल्ब्रुस को सफलता के साथ फतह करके, जब वह नीचे आईं, तो उनकी टीम ने उन्हें बताया कि उन्होंने एक रिकॉर्ड बना लिया है। इस रिकॉर्ड के बाद, उन्होंने माउंट किलिमंजारो भी फतह किया। इस तरह उन्होंने 39 दिनों में दो महाद्वीपों की चोटियों को एक साथ फतह करके एक और रिकॉर्ड भी बनाया। लेकिन बचपन से एवरेस्ट के सपने देखने वाली ज्योति ने अपने उस सपने के लिए भी तैयारी जारी रखी है। 

इसी साल उन्होंने एवेरस्ट बेस कैंप पर फतह हासिल की। फ़िलहाल, वह 2023 में एवेरेस्ट की सबसे ऊँची छोटी पर पहुंचने की तैयारी कर रही हैं। अपने जैसे हर माउंटेनियर को ज्योति एक ही सन्देश देती हैं कि 50 की उम्र में भी जीवन में सपने पूरे हो सकते हैं। आप अगर कोई सपना देख सकते हैं, तो उसे पूरा भी कर सकते हैं। 

संपादन-अर्चना दुबे

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