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इको-फ्रेंडली

इन तरीकों से बचा सकते हैं फल और सब्ज़ियाँ ख़राब होने से!

By निशा डागर

क्या आपको पता है कि आलू को प्याज के साथ रखने से, वे जल्दी ख़राब होते हैं? क्योंकि प्याज से निकलने वाली गैस और नमी की वजह से आलू में स्प्राउट्स होने लगते हैं!#LiveGreen #Lifestyle

'साल' के पत्तों से बनी 'खलीपत्र' को बनाया प्लास्टिक का विकल्प, आदिवासियों को दिया रोज़गार!

By निशा डागर

केंदुझर जिला प्रशासन की किसी भी मीटिंग या अन्य किसी आयोजन के दौरान चाय और स्नैक्स बायोडिग्रेडेबल पेपर कप और साल के पत्तों से बनी प्लेट- कटोरी में ही सर्व किये जायेंगें!

'गीली मिट्टी' के ज़रिए भूकंप और फ्लड-प्रूफ घर बना रही है यह युवती!

By निशा डागर

'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!

100 साल पुराने घर की चीज़ों का दोबारा इस्तेमाल कर दिया नया रूप!

इस घर की नींव, खिड़कियां, दीवारें सब पुरानी चीज़ों से बनाई गई है। यह परिवार चाहता था कि पुराने घर की याद भी नए घर में रहे और पर्यावरण संरक्षण भी हो।

कचरे से खाद, बारिश के पानी से बगीचा और बिजली बिल में लाखों की बचत हो रही है यहाँ!

By निशा डागर

साल 2017 में सोसाइटी ने आपूर्ति के बाद बची सोलर एनर्जी को एक बिजली वितरण कंपनी को बेचकर बिल में 2.6 लाख रुपये की बचत की!

मुंबई के इन दो शख्स से सीखिए नारियल के खोल से घर बनाना, वह भी कम से कम लागत में!

By निशा डागर

इस एक आईडिया ने हमारी आँखे खोल दीं कि कैसे कचरे में जाने पर इन नारियल खोल में मच्छर आदि उत्पन्न होने लगते हैं, जबकि हम इनका इस्तेमाल घर बनाने में कर सकते हैं!

मंदिर के कचरे में ढूंढा व्यवसाय का खज़ाना, खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार!

By निशा डागर

साल 1998 से अम्बा जी मंदिर के बिल्कुल बाहर रामी की दुकान है, जहाँ आज वे दो हज़ार से भी ज़्यादा हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बेचते हैं!

मिट्टी, गोबर और बीजों से बनी मूर्तियाँ खरीदकर पारम्परिक तरीकों से मनाएं गणपति उत्सव!

By निशा डागर

यदि आप अपने गणपति को किसी नदी या तालाब में भी विसर्जित करना चाहते हैं तब भी बिना किसी झिझक के आप इन मूर्तियों का विसर्जन कर सकते हैं। क्योंकि इन में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं होता जो कि पानी या पेड़ों के लिए प्रदूषण का कारण बने!

कार्डबोर्ड से बना 10 रुपये का यह स्कूल बैग बन जाता है डेस्क भी!

By सोनाली

चीजें जो हम नज़रअंदाज़ करते हैं, वह अक्सर सबसे महत्वपूर्ण होती है। डेस्क, कुर्सी या ब्लैक बोर्ड किसी स्कूल की सबसे बेसिक आवश्यकता होती है। इसके बावजूद ग्रामीण भारत के सैकड़ों स्कूल इन सुविधाओं से दूर है। "