पुराने-बेकार नारियल से बनाये 400 अद्भुत आर्टवर्क, घर को बनाया आर्ट गैलरी

महाराष्ट्र के 59 वर्षीय विजयानंद शेम्बेकर नारियल के खोल इकट्ठा करके उनसे खूबसूरत और आकर्षक क्रॉफ्ट आइटम बनाते हैं!

नारियल को आप हर एक रूप में काम में ले सकते हैं। इसके खोल और छाल तक भी लोग अगर चाहें तो इस्तेमाल में ले सकते हैं। नारियल के खोल को प्लांटर्स की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इसकी छाल को कोकोपीट बनाने के साथ-साथ आर्टिफेक्ट बनाने के लिए भी उपयोग में लिया जा सकता है। नारियल के खोल को सुखाने के बाद, इससे भी खूबसूरत आर्टिफेक्ट्स बनाए जा सकते हैं। आज हम आपको जिस शख्स से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं वह नारियल से एक से बढ़कर एक क्रॉफ्ट आइटम बना रहे हैं।

यह कहानी महाराष्ट्र के 59 वर्षीय विजयानंद शेम्बेकर की है, जो नारियल के खोल इकट्ठा करके उनसे खूबसूरत और आकर्षक क्रॉफ्ट आइटम बनाते हैं। यह सब वह खुद अपने हाथों से करते हैं और इन क्रॉफ्ट्स को अलीबाग में उनकी आर्ट गैलरी, ‘आशीर्वाद कलादलन’ में डिस्प्ले किया जाता है।

इससे संबंधित अपनी एक याद को द बेटर इंडिया के साथ साझा करते हुए विजयानंद कहते हैं, “साल 2018 में मुझे अंडमान के पोर्ट ब्लेयर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रोक लिया गया। क्योंकि मेरे बैग में बेकार और खाली नारियल थे। वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मी मुझे शक की निगाह से देख रही थी कि आखिर यह आदमी इतने नारियल का क्या करेगा। लेकिन जब मैंने उन्हें अपना काम समझाया और अपने क्रॉफ्ट्स की तस्वीरें दिखाई तो प्रशासन की पूछताछ लंबी-चौड़ी बातचीत में बदल गई। अधिकारियों ने न सिर्फ मेरे काम के बारे में जाना बल्कि काफी समय तक उनके बनाए क्रॉफ्ट्स के फोटोज भी देखे और उनकी सराहना की।”

Vijayanand Shembekar
Vijayanand Shembekar

विजयानंद कहते हैं कि शुरूआत में घर वाले भी क्रॉफ्ट के प्रति उनके जुनून को नहीं समझ सके थे। उन्होंने बताया, “मेरे घरवालों ने भी मुझे 12 साल पहले पागल करार दे दिया था जब मैंने यह काम शुरू किया था। लेकिन मुझे पता था कि जो मैं कर रहा हूँ, वह कला है।”

विजयानंद दिन में अपनी नौकरी पर जाते हैं और रात को ये खूबसूरत कृतियाँ बनाते हैं। उन्होंने लगभग 400 कलाकृतियाँ बनाने का दावा किया है- जिनमें छोटे वाहनों से लेकर मंदिर की आकृतियाँ, जानवर और होम डेकॉर की चीजें शामिल हैं। इन कलाकृतियों को बनाने के लिए वह बेकार, टूटे और क्षतिग्रस्त नारियल, नारियल की छाल, पत्तियों और तने का उपयोग करते हैं।

“अलीबाग एक कोंकण क्षेत्र है और यहाँ हजारों नारियल के पेड़ हैं। आपको डंप यार्ड में नारियल के खोल अत्यधिक मात्रा में मिल जाएंगे। नारियल को मेरी मुख्य रॉ सामग्री के रूप में चुनने से न केवल मुझे पैसे की बचत होती है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है,” विजयानंद कहते हैं।

दिल से एक आर्टिस्ट विजयानंद एक फ़र्टिलाइज़र कंपनी में काम करते हैं और खाली समय में अपने क्रॉफ्ट पर काम करते हैं।

Maharashtra
Coconut Craft

अपने एक कलाकार-मित्र से प्रेरित होकर, विजयानंद ने एक नारियल के खोल से एक छोटे से कमल को उकेरने की कोशिश की। एक घंटे के इस प्रयोग ने उन्हें आज एक बड़ी आर्ट गैलरी तक पहुँचा दिया है।

उन्होंने शुरू में कुछ क्रॉफ्ट बनाए और अपने घर पर रखे तो उनके परिवार वाले बहुत खुश हुए। लेकिन फिर जब वह लगातार यह बनाने लगे तो घरवाले चिंता में पड़ गए। एक के बाद एक 35 आर्टिफेक्ट उन्होंने बना दिया। उनकी पत्नी भी गुस्सा करने लगी कि कहाँ इन्हें रखा जाए और तब विजयानंद ने अपने घर के पहले फ्लोर पर बने कमरे में इन्हें रखना शुरू किया। वह कमरा उनके लिए आर्ट का ठिकाना हो गया और फिर धीरे-धीरे उन्होंने इसे अपनी आर्ट गैलरी में तब्दील कर दिया।

यह आर्ट गैलरी लोगों के लिए खुली है। उनका हर एक क्रॉफ्ट हाथों से बना है। इसकी शुरुआत अपने दोस्तों के यहाँ से नारियल के खोल इकट्ठा करने से होती है। अब तो उनके पड़ोसी उनके घर के दरवाजे पर नारियल रख जाते हैं।

Scooter
Mini Scooter

नारियल से क्रॉफ्ट बनाने के बारे में विजयानंद कहते हैं, “एक नारियल का आकार बहुत अजीब था और इस पर छाल भी काफी थी। ऊपर से यह आयताकार था तो नीचे की तरफ दो छोटे-छोटे सर्किल थे। आपको ताज्जुब लगेगा, मैंने उस नारियल को मिनिएचर कार में तब्दील कर दिया। कोई भी क्रॉफ्ट बनाने से पहले मैं नारियल को साफ़ करता हूँ और फिर इसे काटा और छीला जाता है। इसके बाद ही इसे कोई आर्ट का रूप दिया जाता है।”

विजयानंद के आर्ट गैलेरी में प्रवेश करते ही आपको नारियल से बने ट्रैक्टर, कार, ऑटो-रिक्शा, साइकिल और बाइक जैसे वाहन देखने को मिलेंगे। वहीं गणेश और कृष्ण की मूर्तियाँ भी आपको दिखेंगी। घर की सजावट के सामान में लैंप, दीवार पर लटकाए जाने वाले क्रॉफ्ट और छोटे बर्तन शामिल हैं।

विजयानंद अपने क्राफ्ट्स बेचते नहीं हैं और इस बारे में वह कहते हैं, “आप मेरे क्रॉफ्ट की कोई कीमत नहीं रख सकते, वे अमूल्य हैं। जिस क्षण मैं उनकी कीमत लगा दूँगा वह अपना आकर्षण खो देंगे। मेरे पास एक अच्छी नौकरी है जो हमारी सभी जरूरतों को पूरा करती है। इसलिए, इन्हें बेचने का कोई कारण नहीं है।”

कुछ अन्य क्राफ्ट:

Reuse coconut shell

Reuse coconut

Maharashtra

Maharashtra Man

Maharashtra Man

Maharashtra Man

हालांकि, विजयानंद स्कूल-कॉलेज के छात्रों या इच्छुक लोगों को सिखाने से कभी मना नहीं करते हैं। वह हमेशा अलग से नारियल रखते हैं ताकि अगर कोई विजिट करने आए तो उनके कहने पर वह एक डेमो दे सकें। वह लोगों को यह आर्ट करने के लिए प्रेरित करते हैं।

(सभी तस्वीरें विजयानंद शेम्बेकर ने साझा की हैं!)

मूल लेख: गोपी करेलिया
संपादन – जी. एन झा

यह भी पढ़ें: छात्र ने 9 वर्षों तक की बंधुआ मज़दूरी, IAS ने बचाया, अब मिल रही औपचारिक शिक्षा!


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X